- पहले गौरी गणेश मनाया करो
- बालू मिट्टी के बनाए भोलेनाथ
- जग रखवाला है मेरा भोला बाबा
- बेलपत्ते ले आओ सारे
- कैलाश के भोले बाबा
- कब से खड़ी हूं झोली पसार
- भोले नाथ तुम्हारे मंदिर मेंअजब नजारा देखा है
- शिव शंभू कमाल कर बैठे
- एक भूत शिव से बोला
- सुनो हे देवी माता रानी
- भीगी भीगी रातों में
- कावडिया ले चल शिव के द्वार
- मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी
- गौरां और शंकर हैं ये,
- शिव तो ठहरे सन्यासी गौरां पछताओगी
- कितनी सुन्दर है माँ तेरी नगरी
- आशुतोष शशाँक शेखर
- अगड़-बम-शिव-लहरी
- डमरू वाले बाबा तेरी लीला है न्यारी
- कैलाश पर्वत पर बाज रहे घुंघरू
- शंकर तेरी जटा में
- भोलेनाथ की दीवानी
- भोले डमरु बजा दो एक बार हमारे हरी कीर्तन में,
- ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।
- मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी
- डमरू वाले वावा तुमको आना होगा
- अमृत बरसे बरसे जी
- ओम जय शिव ओंकारा की आरती लिखी हुई
- राधिका गोरी से बिरज की छोरी से
- सजा दो घर को गुलशन सा
- सांवली सूरत पे मोहन
- शिव आरती
- ओम जय जगदीश हरे आरती
- अंबे तू है जगदंबे काली
- कर लो ना राम भजन ग्यारस का
- ना जी भर के देखा
- अपना चंदा सा मुखड़ा दिखाए जा
- तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे
- तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे
- सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
- श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में
- जगत में ग्यारस बड़ी महान
- बहु भोजन ना करूं मैं आज
- आज मैया का कीर्तन हमारे अंगना lyrics
- तू कर ले व्रत ग्यारस का
- ग्यारस माता से मिलन कैसे होय
- मुझे माता मिल गईं थी
- मेरी पूजा में हो रही देर गजानंद आ जाओ
- अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये
- गौ माता की सेवा कर ले
- गौ माता के भजन लिरिक्स
- मैया राणी के भवन में
- फूलों से सजाया दरबार गजानन आ जाना
- कभी दुर्गा बनके कभी काली बनके
- saja do ghar ko gulshan sa lyrics
- yug ram raj ka aa gaya lyrics
- मेरी झोपड़ी के भाग
- Cham Cham Nache Dekho Veer Hanumana
- मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना,
- छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना
- श्री राम जी के भजन
- ऊँ जय शिव ओंकारा
- जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
- माँ मेरी तुमसे लड़ाई है
- वीर हनुमाना अति बलवाना लिखित भजन
- अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो
- हनुमान चालीसा लिखित में
- श्री राम चंद्र कृपालु लिरिक्स
- राम भजन हिंदी में लिखित
- जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री
- मुझे ले चलियो हनुमान मैया के जगराते में
- चंदा से भी सुंदर मेरे रामजी
- चरणों में रघुवर के
- तेरा भवन सजा जिन फूलों से
- ले के पूजा की थाली
- नौ दिन मेरे घर आना जगदंबे मैया
- नाम मेरी शेरोंवाली का जिस जिसने गाया है
- मुझे दर्शन दे गई मां कल रात सोते-सोते
- डर लागै डर लागै माँ काली तेरे तै डर लागै
- सपनों में मैया मेरी रोज चली आती है
- बिगड़ी मेरी बनादे ए शेरों वाली मैया
- बिगड़ी मेरी बना दे ए शेरों वाली मैया
- पायो जी मैने राम रतन धन पायो
- सियार और ढोल
- देने का सबक: करुणा और मानवता की कहानी
- युधष्ठिर जी को मिली अमरता
- दुर्वासा ऋषि का श्री राम से मिलन
- जगन्नाथ धाम पुरी की रसोई: एक अद्भुत अनुभव
- दुर्वासा ऋषि का श्री राम से मिलन
- एक बहुत बड़ा अमीर आदमी और उसके दान की कहानी
- नाक रगड़ कर मांगी मांफी
- खाटू श्याम किसके पुत्र थे
- “सन्त की आश्चर्य-कहानी”
- छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां
- बूढ़ी माई का इलाज जब भगवान ने किया
- बच्चों की बाल कहानियां
- तुलसी और विष्णु की कहानी
- तीन सवाल
- श्रीकृष्ण की माया: सुदामा की
- लंका के शासक रावण की माँग
- धन्ना जाट जी की कथा
- “सच्ची भक्ति: सेवा और करुणा का मार्ग”
- जब मेघनाद का कटा हुआ सर बोल पड़ा
- Story of child:talk with god
- कैसे हुए एक बालक को भगवान के दर्शन
- पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां
- खटमल और मच्छर की कहानी
- छोटी कहानी इन हिंदी ‘हनुमान जी कौन हैं
- Places to visit in Ayodhya
- spritualknowledge.technotrand.com/अनिरुद्धाचार्य-जी-महाराज/
प्रिय पाठकों, मैं वास्तव में आपकी उपस्थिति की सराहना करता हूँ क्योंकि हम इन आत्मा को झकझोर देने वाले भजनों के माध्यम से यात्रा कर रहे हैं। 🙏 यदि आप नवीनतम भजनों पर अपडेट रहना चाहते हैं या अपने पसंदीदा भजनों का अनुरोध करना चाहते हैं, तो मैं आपको हमारे व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूँ। 💬 यह कनेक्ट करने का एक शानदार तरीका है और यह सुनिश्चित करता है कि आप कभी भी किसी दिव्य धुन को मिस न करें। बस नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और भक्ति के आनंद को फैलाने में हमारे साथ जुड़ें! 🎶”
गौरी गणेश भजन
पहले गौरी गणेश मनाया करो,
फिर भोले जी के दर्शन पाया करो ॥
भोले माथे पर तेरे चंदा है,
और जटा में तेरे गंगा है
गंगा में गोता लगाया करो,
फिर भोले जी के दर्शन पाया करो ॥
भोले हाथ में तेरे डमरू है,
और गले सर्पों की माला है
डमरू की धुन पर नाचाया करो
फिर भोले जी के दर्शन पाया करो ॥
भोले अंग भभूति रमाते हो,
और तन बाघअंबर पहनते हो,
गौरा संग रास रचाया करो
फिर भोले जी के दर्शन पाया करो ॥
भोले अजब तुम्हारी माया है,
और भेद किसी ने ना पाया है,
भोले की महिमा गाया करो,
फिर भोले जी के दर्शन पाया करो ॥
गौरी पुत्र गणेश भजन lyrics पहले गौरी गणेश मनाया करो
- पहले गौरी गणेश मनाया करो
- बालू मिट्टी के बनाए भोलेनाथ
- जग रखवाला है मेरा भोला बाबा
- बेलपत्ते ले आओ सारे
- कैलाश के भोले बाबा
- कब से खड़ी हूं झोली पसार
- भोले नाथ तुम्हारे मंदिर मेंअजब नजारा देखा है
- शिव शंभू कमाल कर बैठे
- एक भूत शिव से बोला
- सुनो हे देवी माता रानी
- भीगी भीगी रातों में
- कावडिया ले चल शिव के द्वार
- मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी
- गौरां और शंकर हैं ये,
- शिव तो ठहरे सन्यासी गौरां पछताओगी
- कितनी सुन्दर है माँ तेरी नगरी
- आशुतोष शशाँक शेखर
- अगड़-बम-शिव-लहरी
- डमरू वाले बाबा तेरी लीला है न्यारी
- कैलाश पर्वत पर बाज रहे घुंघरू
- शंकर तेरी जटा में
- भोलेनाथ की दीवानी
- भोले डमरु बजा दो एक बार हमारे हरी कीर्तन में,
- ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।
- मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी
- डमरू वाले वावा तुमको आना होगा
- अमृत बरसे बरसे जी
- ओम जय शिव ओंकारा की आरती लिखी हुई
- राधिका गोरी से बिरज की छोरी से
- सजा दो घर को गुलशन सा
- सांवली सूरत पे मोहन
- शिव आरती
- ओम जय जगदीश हरे आरती
- अंबे तू है जगदंबे काली
- कर लो ना राम भजन ग्यारस का
- ना जी भर के देखा
- अपना चंदा सा मुखड़ा दिखाए जा
- तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे
- तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे
- सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
- श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में
- जगत में ग्यारस बड़ी महान
- बहु भोजन ना करूं मैं आज
- आज मैया का कीर्तन हमारे अंगना lyrics
- तू कर ले व्रत ग्यारस का
- ग्यारस माता से मिलन कैसे होय
- मुझे माता मिल गईं थी
- मेरी पूजा में हो रही देर गजानंद आ जाओ
- अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये
- गौ माता की सेवा कर ले
- गौ माता के भजन लिरिक्स
- मैया राणी के भवन में
- फूलों से सजाया दरबार गजानन आ जाना
- कभी दुर्गा बनके कभी काली बनके
- saja do ghar ko gulshan sa lyrics
- yug ram raj ka aa gaya lyrics
- मेरी झोपड़ी के भाग
- Cham Cham Nache Dekho Veer Hanumana
- मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना,
- छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना
- श्री राम जी के भजन
- ऊँ जय शिव ओंकारा
- जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
- माँ मेरी तुमसे लड़ाई है
- वीर हनुमाना अति बलवाना लिखित भजन
- अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो
- हनुमान चालीसा लिखित में
- श्री राम चंद्र कृपालु लिरिक्स
- राम भजन हिंदी में लिखित
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- मुझे ले चलियो हनुमान मैया के जगराते में
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- तेरा भवन सजा जिन फूलों से
- ले के पूजा की थाली
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- नाम मेरी शेरोंवाली का जिस जिसने गाया है
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- डर लागै डर लागै माँ काली तेरे तै डर लागै
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- युधष्ठिर जी को मिली अमरता
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- जगन्नाथ धाम पुरी की रसोई: एक अद्भुत अनुभव
- दुर्वासा ऋषि का श्री राम से मिलन
- एक बहुत बड़ा अमीर आदमी और उसके दान की कहानी
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- खाटू श्याम किसके पुत्र थे
- “सन्त की आश्चर्य-कहानी”
- छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां
- बूढ़ी माई का इलाज जब भगवान ने किया
- बच्चों की बाल कहानियां
- तुलसी और विष्णु की कहानी
- तीन सवाल
- श्रीकृष्ण की माया: सुदामा की
- लंका के शासक रावण की माँग
- धन्ना जाट जी की कथा
- “सच्ची भक्ति: सेवा और करुणा का मार्ग”
- जब मेघनाद का कटा हुआ सर बोल पड़ा
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- कैसे हुए एक बालक को भगवान के दर्शन
- पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां
- खटमल और मच्छर की कहानी
- छोटी कहानी इन हिंदी ‘हनुमान जी कौन हैं
- Places to visit in Ayodhya
प्रिय पाठकों, मैं वास्तव में आपकी उपस्थिति की सराहना करता हूँ क्योंकि हम इन आत्मा को झकझोर देने वाले भजनों के माध्यम से यात्रा कर रहे हैं। 🙏 यदि आप नवीनतम भजनों पर अपडेट रहना चाहते हैं या अपने पसंदीदा भजनों का अनुरोध करना चाहते हैं, तो मैं आपको हमारे व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूँ। 💬 यह कनेक्ट करने का एक शानदार तरीका है और यह सुनिश्चित करता है कि आप कभी भी किसी दिव्य धुन को मिस न करें। बस नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और भक्ति के आनंद को फैलाने में हमारे साथ जुड़ें! 🎶”
प्रश्न – होम से क्या उपकार होता है?
उत्तर – सब लोग जानते हैं कि दुर्गन्धयुक्त वायु और जलसे रोग, रोगसे प्राणियोंको दुःख और सुगन्धित वायु तथा जलसे आरोग्य और रोगके नष्ट होनेसे सुख प्राप्त होता है।
प्रश्न – चन्दनादि घिस के किसीको लगावे वा घृतादि खानेको देवे तो बड़ा उपकार हो। अग्निमें डाल के व्यर्थ नष्ट करना बुद्धिमानों का काम नहीं।
उत्तर – जो तुम पदार्थविद्या जानते तो कभी ऐसी बात न कहते। क्योंकि किसी द्रव्यका अभाव नहीं होता। देखो! जहां होम होता है वहां से दूर देशमें स्थित पुरुष के नासिकासे सुगन्ध का ग्रहण होता है वैसे दुर्गन्धका भी। इतने ही से समझ लो कि अग्निमें डाला हुआ पदार्थ सूक्ष्म हो के फैल के वायु के साथ दूर देश में जाकर दुर्गन्धकी निवृत्ति करता है।
प्रश्न – जब ऐसा ही है तो केशर, कस्तूरी, सुगन्धित पुष्प और अतर आदिके घरमें रखनेसे सुगन्धित वायु होकर सुखकारक होगा।
उत्तर – उस सुगन्धका वह सामर्थ्य नहीं है नहीं है कि गृहस्थ वायुको बाहर निकालकर शुद्ध वायुको प्रवेश करा सके क्योंकि उसमें भेदक शक्ति नहीं है और अग्नि ही का सामर्थ्य है कि उस वायु और दुर्गन्धयुक्त पदार्थोंको छिन्न-भिन्न और हल्का करके बाहर निकालकर पवित्र वायुको प्रवेश करा देता है।
प्रश्न – तो मन्त्र पढ़के होम करनेका क्या प्रयोजन है?
उत्तर – मन्त्रोंमें वह व्याख्यान है कि जिससे होम करनेमें लाभ विदित हो जायें और मन्त्रोंकी आवृत्ति होनेसे कण्ठस्थ रहें। वेदपुस्तकों का पठन-पाठन और रक्षा भी होवे।
प्रश्न – क्या इस होम करनेके विना पाप होता है?
उत्तर – हां! क्योंकि जिस मनुष्यके शरीरसे जितना दुर्गन्ध उत्पन्न हो के वायु और जलको बिगाड़कर रोगोत्पत्तिका निमित्त होनेसे प्राणियोंको दुःख प्राप्त कराता है उतना ही पाप उस मनुष्यको होता है। इसलिये उस पापके निवारणार्थ उतना सुगन्ध वा उससे अधिक वायु और जलमें फैलाना चाहिये। और खिलाने-पिलानेसे उसी एक व्यक्तिको सुख विशेष होता है। जितना घृत और सुगन्धादि पदार्थ एक मनुष्य खाता है उतने द्रव्यके होमसे लाखों मनुष्योंका उपकार होता है परन्तु जो मनुष्य लोग घृतादि उत्तम पदार्थ न खावें तो उनके शरीर और आत्मा के बलकी उन्नति न हो सके, इससे अच्छे पदार्थ खिलाना-पिलाना भी चाहिये परन्तु उससे होम अधिक करना उचित है इसलिये होमका करना अत्यावश्यक है।
प्रश्न – प्रत्येक मनुष्यको सोलह-सोलह आहुति और छः-छः माशे घृतादि एक-एक आहुतिका परिमाण न्यून से न्यून चाहिये और जो इससे अधिक करे तो बहुत अच्छा है। इसीलिये आर्यवरशिरोमणि महाशय ऋषि, महर्षि, राजे, महाराजे लोग बहुत सा होम करते और कराते थे। जबतक इस होम करनेका प्रचार रहा तबतक आर्यावर्त्त देश रोगोंसे रहित और सुखोंसे पूरित था, अब भी प्रचार हो तो वैसा ही हो जाय। ये दो यज्ञ अर्थात् ब्रह्मयज्ञ जो पढ़ना-पढ़ाना सन्ध्योपासन ईश्वरकी स्तुति, प्रार्थना, उपासना करना, दूसरा देवयज्ञ जो अग्निहोत्र से ले के अश्वमेध पर्यन्त यज्ञ और विद्वानोंकी सेवा, संग करना परन्तु ब्रह्मचर्यमें केवल ब्रह्मयज्ञ और अग्निहोत्र का ही करना होता है।
*#शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए ये तो बहुत लोग जानते हैं किन्तु कुछ ऐसी वस्तुएं भी हैं जिसे भगवान शिव को अर्पण करने को #शास्त्रोंमेंमना किया गया है।
*आइये ऐसी ही कुछ वस्तुओं के विषय में जानते हैं।
*#हल्दी:
भगवान शिव को हल्दी नहीं चढ़ती है क्यूंकि
इसका सम्बन्ध भगवान विष्णु से है।
विष्णु-लक्ष्मी को हल्दी चढाने का विधान है
क्यूंकि नारायण को हल्दी या पीली वस्तुएं बड़ी पसंद हैं।यही कारण है कि उन्हें पीतांबर कहा गया है।
इसके अतिरिक्त चूँकि हल्दी का सम्बन्धरसोईघर से है इसीलिए भी ये महादेव को
नहीं चढ़ाई जाती।
*#चंपाऔरकेवड़ेकाफूल:
इन दोनों फूलों को महादेव
पर नहीं चढ़ाया जाता।
इन दोनों की गंध अत्यंत तीखी होती है।
इसके अतिरिक्त दोनों से,विशेषकर केवड़े के फूल से इत्र बनाया जाता है जो सांसारिक अथवा भौतिक वस्तुओं का द्योतक है।
महादेव भैतिक वस्तुओं से परे हैं इसीलिएये दोनों फूल उनके लिए वर्जित है।
*#शंखऔरतुलसी:
महादेव को शंख और तुलसी भी अर्पित नहीं की जाती क्यूंकि भगवान शिव ने शंखचूड़नामक राक्षस का वध किया था।
उसे ही कई जगह जालंधर के नाम से जाना जाता है।
वृंदा इसी शंखचूड़ की पत्नी थी और उसे वरदान था कि जबतक उसका पतिव्रत अखंड रहेगा तब तक उसके पति को कोई मार नहीं सकेगा।
इसी कारण युद्ध में महादेव शंखचूड़ का वध नहीं कर रहे थे ताकि वरदान का अपमान ना हो।
तब उनकी प्रेरणा से भगवान विष्णु ने
शंखचूड़ का वेश लेकर वृंदा का पतिव्रत भंग कर दिया और तब महादेव ने
शंखचूड़ का वध कर दिया।
जब वृंदा को इसका पता चला तो उन्होंने नारायण क पत्थर बन जाने का श्राप दे
दिया और स्वयं भस्म हो गयी।
उनके भस्म से ही तुलसी की उत्पत्ति हुई और नारायण श्राप के कारण शालिग्राम के रूप में जन्मे।
तब से शंख और तुलसी महादेव स्वीकार नहीं करते।
शंख के जल से महादेव का अभिषेक भी नही करना चाहिए।
#नारियलकाजल:
इसे श्रीफल कहते हैं,अर्थात देवी लक्ष्मी का फल।
देवी लक्ष्मी का सम्बन्ध भगवान विष्णु से है
इसी कारण महादेव को नारियल या नारियल का पानी नहीं चढ़ाया जाता।
*#खंडित_चावल(टूटा चावल):
इसे किसी भी देवता को नहीं चढ़ाना चाहिए।
पूजा में चढ़ने वाले चावल को “अक्षत” कहते हैं,
अर्थात जिसकी कोई क्षति ना हुई हो।
खंडित अथवा क्षत चावल इसी कारण महादेव
या किसी अन्य देवता को नहींचढ़ाया जाता है।
*#खंडित_बेलपत्र:बेलपत्र
महादेव को अत्यंत प्रिय है किन्तु बेलपत्र केवल तीन की संख्यामें महादेव को समर्पित किया जाना चाहिए।
पत्तियों को तोड़ कर एक अथवा दो बेलपत्रभगवान शिव को अर्पण नहीं किया जाता है।
*#लाल_वस्त्र:
भगवान शिव को लाल वस्त्र भी अर्पण नहीं किया जाता क्यूंकि ये मातापार्वती को प्रियनहीं है।
ये कथा कुमकुम से भी सम्बंधित है क्यूंकि
दोनों का रंग लाल होता है।
*#कुमकुम(रोली):
ये भी माता पार्वती को प्रिय नहीं क्यूंकि ऐसी
कथा आती है कि एक बार कुमकुम चढाने के
कारण माता को रक्त का भ्रम हो गया था।
*#उबला_दूध:
अक्षत की ही भांति उबला दूध ना केवल महादेव को बल्कि किसी और देवता को
नहीं चढ़ाना चाहिए।
भगवान शिव को गाय का ताजा दूध ही,अर्पित करना चाहिए।
अगर गाय का दूध उपलब्ध ना हो तो भी बाजार से खरीदे गए दूध को बिना उबाले भगवान शिव पर चढ़ाना चाहिए।
दूध को उबलने पर वो जूठा माना जाता है और इसीलिए भगवान शिव पर नहीं चढ़ाया जाता।
*#लौहपात्रसे_जल:
भगवान शिव को केवल कांसे या ताम्बे,के पात्र से जल चढ़ाया जाता है।
लौह पात्र उनके लिए सर्वथा वर्जित है।
कई जगह उन्हें लौह के साथ-साथ उन्हें सवर्ण और रजत पात्र से भी जल चढाने
से मना किया जाता है क्यूंकि महादेव ने
त्रिपुर,जो क्रमशः स्वर्ण,रजत और लौह से
बने थे, का संहार किया था और त्रिपुरारि,
कहलाये।
*#केतकीकाफूल:
ये पुष्प महादेव को प्रिय नहीं क्यूंकि इसने महादेव से असत्य कहा था।