छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां ऋषि और चूहा
बहुत समय पहले, एक शांत वन में एक ऋषि निवास करते थे। वे अपने तप और साधना में मग्न रहते थे, पर उनके डेरे पर एक छोटा चूहा भी रहता था। चूहा ऋषि से अत्यधिक प्रेम करता था और उनके सान्निध्य में रहकर भजन-पूजन में भी रुचि लेने लगा था। हालांकि, वह हमेशा डर में जीता था। कुत्ते, बिल्लियों, और शिकारी पक्षियों से बचने के लिए वह हर समय चौकन्ना और सहमा रहता था।
ऋषि का करुणा भाव
ऋषि को चूहे की यह स्थिति देखकर बड़ी दया आई। वे सोचने लगे, “यह चूहा बेचारा हर समय डर के साये में जीता है। क्यों न मैं इसे ऐसा बना दूं कि यह निर्भय होकर जीवन जी सके?” ऋषि सिद्ध पुरुष थे और उनके पास असाधारण दैवीय शक्तियां थीं। उन्होंने अपनी शक्ति से उस चूहे को एक शक्तिशाली शेर में बदल दिया। यह सोचते हुए कि अब वह बिना किसी डर के, निडर होकर वन में विचरण करेगा।
चूहा, जो अब शेर बन गया था, अचानक से खुद को सर्वशक्तिमान महसूस करने लगा। उसके मन में पहले का कोई डर नहीं बचा था, और अब पूरे जंगल के जानवर उससे डरने लगे। उसकी जय-जयकार होने लगी और वन के जानवर उसका सम्मान करने लगे। लेकिन वह अपनी नई पहचान और शक्ति के मद में इतना चूर हो गया कि उसे अपनी वास्तविकता भूलने लगी। ऋषि, जो जानते थे कि वह अभी भी भीतर से वही चूहा है, उसके साथ उसी भाव से व्यवहार करते रहे।
अहंकार का जन्म
चूहा, जो अब शेर था, यह नहीं सह सका कि कोई उसे चूहा समझ कर देखे या उसके साथ वैसे ही व्यवहार करे। उसे यह बात खटकने लगी कि ऋषि उसे अब भी चूहे के रूप में क्यों देख रहे हैं। उसके मन में यह डर पैदा हो गया कि यदि ऋषि इसी प्रकार व्यवहार करते रहे, तो अन्य जानवर भी उसकी असलियत को जान जाएंगे और उसका सम्मान खत्म हो जाएगा। इसी घमंड और क्रोध में उसने सोच लिया कि सबसे अच्छा उपाय यह होगा कि वह ऋषि को ही मार डाले। इस प्रकार, न रहेगा ऋषि, और न ही उसकी असलियत सामने आएगी।
ऋषि का प्रत्युत्तर
जब चूहा, जो अब शेर के रूप में था, ऋषि की ओर क्रोध से भरकर बढ़ा, तो ऋषि ने उसकी मनोदशा को तुरंत भांप लिया। ऋषि ने अपनी दिव्य दृष्टि से उसकी सोच को समझ लिया और उसे एक बड़ा पाठ सिखाने का निश्चय किया। उन्होंने अपनी दैवीय शक्तियों का प्रयोग किया और एक बार फिर चूहे को उसकी असली पहचान में लौटा दिया – यानी उसे पुनः चूहा बना दिया। चूहा अब फिर से वही डरा-सहमा और कमजोर जीव बन गया था।
घमंड का अंत और शिक्षा
ऋषि ने चूहे को उसकी औकात याद दिलाई और उसे यह सिखाया कि घमंड और अहंकार किसी को महान नहीं बनाते। असल महानता नम्रता और कृतज्ञता में होती है। चूहे का घमंड उसे उसकी असली पहचान से दूर कर रहा था, और अंततः वह उसी स्थिति में लौट आया, जिससे वह बचना चाहता था।
इस कथा में कई गहरी शिक्षा छिपी हुई है, जो हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं में मार्गदर्शन करती हैं।
शिक्षाएं:
- अपनी असलियत कभी न भूलें
चूहा जब शेर बना, तो उसने अपनी असली पहचान भूल कर घमंड पाल लिया। अगर वह अपनी सच्चाई को स्वीकार करता और विनम्र रहता, तो उसकी यह स्थिति नहीं होती। यह हमें सिखाता है कि हमें अपनी वास्तविकता और अतीत को कभी नहीं भूलना चाहिए, चाहे हमें कितना भी अधिकार या शक्ति क्यों न मिल जाए। - कृतज्ञता का भाव बनाए रखें
चूहा ऋषि का एहसान भूल गया जिसने उसे शेर बनाया था। यही उसकी सबसे बड़ी भूल थी। हमें अपने जीवन में उन लोगों को कभी नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने हमें मुश्किल समय में सहारा दिया हो। उनके प्रति सदा कृतज्ञ रहना चाहिए, चाहे हम जीवन में कितने ही ऊंचे क्यों न पहुंच जाएं। - अहंकार का विनाश
इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि अहंकार किसी का भी विनाश कर सकता है। चूहा, जो अपने अहंकार में इतना खो गया था कि उसने अपने ही गुरु और सहायक को मारने की योजना बना ली। जीवन में चाहे हमें कितनी भी सफलता या अधिकार प्राप्त हो, अहंकार हमेशा नुकसानदायक होता है। विनम्रता से ही सच्ची महानता मिलती है। - हितैषी का अनादर न करें
चूहे ने ऋषि, जो उसके सबसे बड़े हितैषी थे, को मारने की सोची। यह शिक्षा देती है कि हमें कभी भी उन लोगों का अनादर नहीं करना चाहिए, जिन्होंने हमारे लिए कुछ अच्छा किया हो। अहंकार और स्वार्थ हमें अंधा कर सकते हैं, लेकिन हमें अपनी कृतज्ञता को कभी नहीं भूलना चाहिए। - धैर्य और विवेक से काम लें
चूहा अगर विवेक से काम लेता और धैर्य से सोचता, तो वह ऋषि के प्रति द्वेष नहीं रखता। कठिन परिस्थितियों में हमें हमेशा धैर्य और विवेक से निर्णय लेना चाहिए। त्वरित और घमंड से भरे निर्णय हमारे लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।
उपसंहार
इस कहानी से यह साफ है कि जीवन में चाहे कितनी भी सफलता मिल जाए, विनम्रता और कृतज्ञता का भाव बनाए रखना ही हमें सच्चे अर्थों में महान बनाता है। घमंड हमें अंधा कर सकता है और अपनों से भी दूर कर सकता है, जैसे कि चूहे के साथ हुआ। इसलिए, जो लोग हमारे जीवन में हमारी मदद करते हैं, उनका हमेशा सम्मान करना चाहिए, और हमें अपने अतीत को भी नहीं भूलना चाहिए।
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