देश भक्ति गीत स्कूल में गाने के लिए
१. गरु: ब्रह्मा, गुरु: विष्णु, गुरु: देवो भरा… जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, वो भारत देश है मेंरा..
२. ए मेंरे प्यारे बतन, ए मेंरे बिछुड़े चमन; तुझपे दिल कुर्बान…
३. ए मेंरे वतन के लोगों…
४. दे दी हमें आजादी बीना खड्ग बीना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल..
५. आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिदुस्तान की..
६. हम लाएं हैं आजादी तुफान से, इस देश को रखना मेंरे बच्चों संभाल के…
७. अपनी आजादी को हम हर्गीज मिटा सकते नहीं..
८. है प्रीत जहां की रीत वहां…
९. ये देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्ता नो का..
१०. ए वतन ए वतन, तुझको मेंरी कसम…
११. आई है आई है चिट्ठी आई है…
१२. संदेशे आते हैं….
१३. छोड़ो कल की बातें, कल की बात पूरानी, नए दौर में लिखेंगें मिलकर एक नई कहानी.. हम हिंदुस्तानी..
१४. जनगणमन अधिनायक जय है..
१५. वंदे मातरम…
१६. यह गीत भी मैं देश भक्ति का गीत मानता हूं : हरी हरी वसुंधरा पे नीला नीला ये गगन, इसके बादलों की पालकी उठाता गगन.. ये कौन चित्रकार है ये कौन…
१७. कर चले हम फिदा वतन साथियों
१८. दिल दिया है जान भी देंगे ए वतन तेरे लिए
१९ . मेरा मुल्क मेरा देश मेरा यह वतन शांति का उन्नति का प्यार का चमन
२०. मेरे देश की धरती सोना उगले पंक्ति
२१ . मेरा रंग दे बसंती चोला
२२ . जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा हिंदी लिरिक्स
२३ . आजादी की खुली हवा में निकले सीना तान के बच्चे हिंदुस्तान
२४ . suno gaur se duniya walo
२५ . ham logon ko samajh sako to samjho dilbar jaani
२६ . chanda ne poochha taron se
२७ . sarfaroshi ki tamanna ab hamare dil me hai
२८ . hum bade chale hum nahi ruke lyrics
२९ . ye desh hai veer jawano ka lyrics
३० .teri mitti lyrics
३१ . ram na kare mere desh ko
३२ . ae watan watan mere aabad rahe tu lyrics
देश भक्ति गीत स्कूल में गाने के लिए
श्रीकृष्ण की माया: सुदामा की कहानी
एक दिन श्रीकृष्ण ने कहा, “सुदामा, आओ, हम गोमती में स्नान करने चलें।” दोनों गोमती के किनारे गए, अपने कपड़े उतारे और नदी में प्रवेश किया। श्रीकृष्ण स्नान करके किनारे लौट आए और अपने पीले वस्त्र पहनने लगे। सुदामा ने एक और डुबकी लगाई, तभी श्रीकृष्ण ने उन्हें अपनी माया दिखाई।
सुदामा को लगा कि नदी में बाढ़ आ गई है। वह बहता जा रहा था, किसी तरह किनारे पर रुका। गंगा घाट पर चढ़कर वह चलने लगा। चलते-चलते वह एक गाँव के पास पहुँचा, जहाँ एक मादा हाथी ने उसे फूलों की माला पहनाई। बहुत से लोग इकट्ठा हो गए और बोले, “हमारे देश के राजा का निधन हो गया है। यहाँ की परंपरा है कि राजा की मृत्यु के बाद जिस किसी को मादा हाथी माला पहनाएगी, वही हमारा नया राजा बनेगा। मादा हाथी ने तुम्हें माला पहनाई है, इसलिए अब तुम हमारे राजा हो।”
सुदामा हैरान रह गया, लेकिन वह राजा बन गया और एक राजकुमारी से विवाह भी कर लिया। उनके दो बेटे भी हुए और उनका जीवन खुशी से बीतने लगा। एक दिन सुदामा की पत्नी बीमार हो गई और मर गई। पत्नी की मृत्यु के शोक में सुदामा रोने लगे। राज्य के लोग भी वहाँ पहुँचे और बोले, “राजा जी, मत रोइए। यह तो माया नगरी का नियम है। आपकी पत्नी की चिता में आपको भी प्रवेश करना होगा।”
यह कहानी महार्षि कंबन द्वारा तमिल भाषा में लिखित “इरामा-अवतारम” से ली गई है, जो वाल्मीकि रामायण और तुलसी रामायण में नहीं मिलती।
श्रीराम ने समुद्र पर पुल बनाने के बाद, महेश्वर-लिंग-विग्रह की स्थापना के लिए रावण को आचार्य के रूप में आमंत्रित करने के लिए जामवंत को भेजा। जामवंत ने रावण को यह संदेश दिया कि श्रीराम ने उन्हें आचार्य के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया है। रावण ने इसे सम्मानपूर्वक स्वीकार किया।
रावण ने सीता को पुष्पक विमान में बैठाकर श्रीराम के पास ले गया और खुद आचार्य के रूप में अनुष्ठान का संचालन किया। अनुष्ठान के दौरान, रावण ने श्रीराम से उनकी पत्नी के बिना अनुष्ठान पूरा नहीं होने की बात कही। तब श्रीराम ने सीता को अनुष्ठान में शामिल होने का आदेश दिया।
एक बार की बात है, एक गाँव था जहाँ भागवत कथा का आयोजन किया गया था। एक पंडित कथा सुनाने आया था जो पूरे एक सप्ताह तक चली। अंतिम अनुष्ठान के बाद, जब पंडित दान लेकर घोड़े पर सवार होकर जाने को तैयार हुआ, तो धन्ना जाट नामक एक सीधे-सादे और गरीब किसान ने उसे रोक लिया।
धन्ना ने कहा, “हे पंडित जी! आपने कहा था कि जो भगवान की सेवा करता है, उसका बेड़ा पार हो जाता है। लेकिन मेरे पास भगवान की मूर्ति नहीं है और न ही मैं ठीक से पूजा करना जानता हूँ। कृपया मुझे भगवान की एक मूर्ति दे दीजिए।”
पंडित ने उत्तर दिया, “आप स्वयं ही एक मूर्ति ले आइए।”
धन्ना ने कहा, “लेकिन मैंने तो भगवान को कभी देखा ही नहीं, मैं उन्हें कैसे लाऊँगा?”
उन्होंने पिण्ड छुडाने को अपना भंग घोटने का सिलबट्टा उसे दिया और बोले- “ये ठाकुरजी हैं ! इनकी सेवा पूजा करना।’
“सच्ची भक्ति: सेवा और करुणा का मार्ग”
एक समय की बात है, एक शहर में एक धनवान सेठ रहता था। उसके पास बहुत दौलत थी और वह कई फैक्ट्रियों का मालिक था।
एक शाम, अचानक उसे बेचैनी की अनुभूति होने लगी। डॉक्टरों ने उसकी जांच की, लेकिन कोई बीमारी नहीं मिली। फिर भी उसकी बेचैनी बढ़ती गई। रात को नींद की गोलियां लेने के बावजूद भी वह नींद नहीं पा रहा था।
आखिरकार, आधी रात को वह अपने बगीचे में घूमने निकल गया। बाहर आने पर उसे थोड़ा सुकून मिला, तो वह सड़क पर चलने लगा। चलते-चलते वह बहुत दूर निकल आया और थककर एक चबूतरे पर बैठ गया।
तभी वहां एक कुत्ता आया और उसकी एक चप्पल ले गया। सेठ ने दूसरी चप्पल उठाकर उसका पीछा किया। कुत्ता एक झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके में घुस गया। जब सेठ नजदीक पहुंचा, तो कुत्ते ने चप्पल छोड़ दी और भाग गया।
इसी बीच, सेठ ने किसी के रोने की आवाज सुनी। वह आवाज एक झोपड़ी से आ रही थी। अंदर झांककर उसने देखा कि एक गरीब औरत अपनी बीमार बच्ची के लिए रो रही है और भगवान से मदद मांग रही है।
शुरू में सेठ वहां से चला जाना चाहता था, लेकिन फिर उसने औरत की मदद करने का फैसला किया। जब उसने दरवाजा खटखटाया तो औरत डर गई। सेठ ने उसे आश्वस्त किया और उसकी