राधा अष्टमी: व्रत अनुष्ठान और आध्यात्मिक महत्व

राधा अष्टमी का व्रत कब खोलना चाहिए

राधा अष्टमी का व्रत कब खोलना चाहिए

राधा अष्ठमी व्रत

राधा अष्टमी एक पवित्र हिंदू त्यौहार है जो भगवान कृष्ण की शाश्वत पत्नी राधा रानी के जन्म का जश्न मनाता है। यह भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि (अष्टमी) को पड़ता है। भक्त, विशेष रूप से राधा-कृष्ण के प्रति श्रद्धा रखने वाले, इस दिन को बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं, खासकर उपवास और विशेष प्रार्थनाओं के माध्यम से। इस ब्लॉग में, हम राधा अष्टमी पर व्रत कैसे रखें और पद्म पुराण में बताए गए इसके आध्यात्मिक महत्व के बारे में जानेंगे।

राधा अष्टमी व्रत के लाभ

  • पद्मा पुराण के अनुसार राधा अष्टमी व्रत अत्यंत श्रद्धा पूर्वक एवं निष्काम पूर्वक करने से राधा रानी का धाम गोलोक धाम में प्रवेश मिल जाता है।
  • करोड़ो जन्मों के ब्रह्म हत्या जैसे पाप भी केवल एक बार इस व्रत का निष्ठा पूर्वक पालन करने से नष्ट हो जाते हैं.
  • १००० निर्जला एकादशी के पुण्य को १०० गुना करने पर जितना पुण्य मिलता है इससे भी १००० गुना पुण्य केवल इस व्रत से मिल जाता है।
  • सुमेरु पर्वत के सामान स्वर्ण दान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है वो पुण्य इस व्रत से हो जाता है।
  • १००० कन्या दान से जो पुण्य प्राप्त होता है वो पुण्य इस व्रत से हो जाता है।
  • गंगा अदि समस्त पवित्र नदियों में स्नान का जो पुण्य है उससे १००० गुना पुण्य इस व्रत से हो जाता है।
  • कोई अनिश्चापूर्वक भी इस व्रत का पालन करता हे उस्का समस्त परिवार भगवन के धाम का अधिकारी हो जाता है।

राधा अष्टमी पर व्रत कैसे रखें

राधा अष्टमी पर व्रत कैसे रखें: सम्पूर्ण मार्गदर्शन

राधा अष्टमी का पर्व, जो इस वर्ष 11 सितंबर, बुधवार को मनाया जाएगा, राधारानी के जन्म का पावन दिन है। इस दिन व्रत रखना विशेष रूप से पुण्यकारी माना जाता है और यह व्रत ठीक उसी प्रकार रखा जाता है जैसे एकादशी अथवा जन्माष्टमी का व्रत।इस दिन व्रत रखकर राधा रानी की पूजा अर्चना की जाती है फल, मिठाई व तुलसी का भोग लगाकर व्रत खोलना चाहिए। इस व्रत को करने वालों पर राधा रानी और श्री कृष्ण की असीम कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं कि राधा अष्टमी पर व्रत कैसे रखें और इसका महत्व क्या है।

राधा अष्टमी व्रत रखने का तरीका:

  1. निर्धारित दिन: इस साल राधा अष्टमी व्रत 11 सितंबर, बुधवार को रखा जाएगा।
  2. राधा रानी का व्रत रखने से पूर्व पीले रंग का झंडा अपने घर के छत पर लगाएं और इसके बाद कलश आदि की स्थापना करें।
  3. अनाज का त्याग: इस व्रत में एकादशी की तरह अनाज नहीं खाना चाहिए। अन्न का सेवन वर्जित होता है, इसलिए फल, दूध, और अन्य व्रत योग्य सामग्री का सेवन किया जाता है।
  4. निर्जला या जल के साथ व्रत: आप अपनी क्षमता और स्वास्थ्य के अनुसार निर्जला (बिना पानी के) या फलाहार (दूध, फल,) व्रत कर सकते हैं। यदि जल के साथ व्रत कर रहे हैं, तो दिनभर जल पी सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि अनाज का सेवन न करें।
  5. व्रत खोलने का समय: व्रत को अगले दिन सूर्य उदय के बाद और 9 बजे से पहले खोला जाएगा । इसका उद्देश्य राधारानी की कृपा प्राप्त करना और व्रत की पूर्णता के साथ आशीर्वाद पाना है।
  6. व्रत खोलने से पूर्व : अगले दिन व्रत खोलने से पूर्व राधा रानी को गुलाब के पुष्प अर्पित करें और राधा कृष्ण युगल छवि की पूजा करें और राधा कृपा कटाक्ष का पाठ करें

2. संकल्प लें

  • व्रत शुरू करने से पहले, राधा रानी का सम्मान करने और उनका आशीर्वाद लेने का संकल्प लें। यह संकल्प शुद्ध मन से किया जाना चाहिए, पूरा दिन भक्ति के लिए समर्पित होना चाहिए।

3. उपवास के प्रकार

  • निर्जला व्रत: कई भक्त सख्त निर्जला व्रत रखते हैं, पूरे दिन पानी और भोजन का सेवन नहीं करते हैं।
  • फलाहार व्रत: यदि आप निर्जला व्रत नहीं रख सकते हैं, तो आप केवल फल, दूध और पानी का सेवन करते हुए फलाहार व्रत रख सकते हैं।
  • व्रत के दौरान अनाज और नमक से बचें, क्योंकि ये आमतौर पर राधा अष्टमी पर वर्जित होते हैं।

4. राधा-कृष्ण पूजा

  • अपना व्रत लेने के बाद, राधा और कृष्ण की मूर्तियों या चित्रों के साथ एक सुंदर वेदी स्थापित करें।
  • राधा रानी को फूल, विशेष रूप सेगलाब के फूल चढ़ाएं।
  • राधा कृपा कटाक्ष का पाठ करें और राधा और कृष्ण के दिव्य प्रेम की महिमा करते हुए भजन (भक्ति गीत) गाएँ।
  • एक दीपक या दीया जलाएँ और प्रसाद के रूप में धूप, फल और मिठाई चढ़ाएँ।

राधा अष्टमी का महत्व

शास्त्रों में श्री राधा कृष्ण की शाश्वत शक्तिस्वरूपा एवम प्राणों की अधिष्ठात्री देवी के रूप में वर्णित हैं अतः राधा जी की पूजा के बिना श्रीकृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी गयी है। श्रीमद देवी भागवत में श्री नारायण ने नारद जी के प्रति ‘श्री राधायै स्वाहा’ षडाक्षर मंत्र की अति प्राचीन परंपरा तथा विलक्षण महिमा के वर्णन प्रसंग में श्री राधा पूजा की अनिवार्यता का निरूपण करते हुए कहा है कि श्री राधा की पूजा न की जाए तो मनुष्य श्री कृष्ण की पूजा का अधिकार नहीं रखता। अतः समस्त वैष्णवों को चाहिए कि वे भगवती श्री राधा की अर्चना अवश्य करें। श्री राधा भगवान श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसलिए भगवान इनके अधीन रहते हैं। यह संपूर्ण कामनाओं का राधन (साधन) करती हैं, इसी कारण इन्हें श्री राधा कहा गया है।

राधा रानी का वैष्णव परंपरा में सर्वोच्च स्थान है, क्योंकि वे भक्ति (भक्ति) और दिव्य प्रेम की प्रतीक हैं। पद्म पुराण के अनुसार, राधा न केवल कृष्ण की एक समर्पित प्रेमिका हैं, बल्कि उनकी दिव्य आत्मा का विस्तार भी हैं, जो आत्मा और सर्वोच्च सत्ता के मिलन का प्रतीक हैं।

राधा अष्टमी का व्रत कब खोलना चाहिए

व्रत और उपवास को लेकर मन में उठने वाले कुछ प्रश्नों के उत्तर

1) व्रत करते-करते अगर कभी बुखार आदि कोई बीमारी हो गई बीमार पड़ गए तो क्या करना चाहिए?

उत्तर-: ऐसी अवस्था में व्रत करने वाले को अपने पुत्र बहन भाई या किसी पुरोहित या मित्र के द्वारा संकल्प लेकर उस व्रत को पूर्ण कराना चाहिए।

पति-पत्नी एक दूसरे के प्रतिनिधि के रूप में व्रत कर सकते हैं

( स्कंद पुराण)

2) व्रत करते समय अगर कभी सूतक या सावड लग जाए तो क्या करना चाहिए?

उत्तर-: ऐसे समय में भी प्रतिनिधि के द्वारा व्रत करवाना चाहिए

परंतु एकादशी व्रत किसी भी काल में हो स्वयं करना ही चाहिए

3) उपवास के दिन अगर स्त्री राजस्वला (periods) हो जाए तो क्या करना चाहिए?

उत्तर-: ऐसी स्थिति में व्रत तो स्वयं करें उपवास स्वयं रखे परंतु उसका पूजन दान आदि का कार्य प्रतिनिधि द्वारा पूर्ण करना चाहिए।

4) हम मासिक शिवरात्रियां करते हैं चतुर्दशी के दिन एक समय खाना खाकर तो यह सही है क्या?

उत्तर-: हां एक समय भोजन करके उपवास किया जा सकता है परंतु इसमें एक नियम शास्त्रों में प्राप्त होता है कि चतुर्दशी के दिन उपवास करने पर दिन में भोजन नहीं किया जाता इसका भोजन रात में ही किया जाता है

5) अष्टमी के दिन कब भोजन करना चाहिए एक समय?

उत्तर-: अष्टमी के दिन भी दिन में भोजन करने का निषेध है इसलिए रात को ही भोजन करना चाहिए अगर उपवास कर रहे हैं इस दिन तो

6) हम रविवार को उपवास रखते हैं हमें कब भोजन करना चाहिए?

उत्तर-: रविवार को उपवास रखने वाले व्यक्तियों को दिन में ही भोजन करना चाहिए रात में भोजन करने का उन लोगों को शास्त्रों में निषेध है

7) उपवास वाले दिन किन कामों को करने से उपवास टूट जाता है?

उत्तर-: उपवास वाले दिन दिन में सोने से, पान खाने से, और मिथुन करने से उपवास टूट जाता है।

उपवास वाले दिन हजामत बनाने से, तेल मालिश करने से, दूसरे के घर जाकर खाने से, उपवास टूट जाता है।

😎 दवाइयो में तो तरह-तरह की चीज मिली रहती है तो क्या उपवास वाले दिन दवाइयां नहीं खाना चाहिए?

उत्तर-: ऐसा नहीं है गरुड़ पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि दवाइयां लेने से व्रत भंग नहीं होता है दवाइयां व्रत वाले उपवास में ली जा सकती है।

सनातन धर्म में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि श्री राधाष्टमी के नाम से प्रसिद्ध है। शास्त्रों में इस तिथि को श्री राधाजी का प्राकट्य दिवस माना गया है। श्री राधाजी वृषभानु की यज्ञ भूमि से प्रकट हुई थीं। वेद तथा पुराणादि में जिनका ‘कृष्ण वल्लभा’ कहकर गुणगान किया गया है, वे श्री वृन्दावनेश्वरी राधा सदा श्री कृष्ण को आनन्द प्रदान करने वाली साध्वी कृष्णप्रिया थीं। कुछ महानुभाव श्री राधाजी का प्राकट्य श्री वृषभानुपुरी (बरसाना) या उनके ननिहाल रावल ग्राम में प्रातःकाल का मानते हैं। कल्पभेद से यह मान्य है, पर पुराणों में मध्याह्न का वर्णन ही प्राप्त होता है।


निष्कर्ष

राधा अष्टमी प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिक शुद्धता का उत्सव है। व्रत रखने और राधा की दिव्य कहानी में खुद को डुबोने से, भक्त उनकी असीम कृपा और कृष्ण के शाश्वत प्रेम से जुड़ते हैं। पद्म पुराण में बताए गए राधा अष्टमी के महत्व से आध्यात्मिक विकास और मुक्ति प्राप्त करने में भक्ति की शक्ति को रेखांकित किया गया है। ईमानदारी, भक्ति और अनुशासन के साथ व्रत रखने से अपार आशीर्वाद मिलता है और राधा-कृष्ण के साथ बंधन मजबूत होता है।

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