navratri 5th day devi images
नवरात्री के पांचवे दें माता स्कंदमाता की पूजा होती है जिन्हें कार्तिकेय भगवान की माता जाता है इनके गोद में भगवान कार्तिकेय जी विराजमान हैं। माता का कमलासन है इसलिए इन्हे पद्मासना भी कहा जाता है। इस ब्लॉग में आपको बताऊंगा की आज के दिन माँ की पूजा करने से साधकों को क्या प्राप्त होता है।
माँ स्कंदमाता की पूजा से क्या लाभ होता है ?
माँ स्कंदमाता की पूजा करने से साधक को आरोग्य प्राप्त होता है , जो व्यक्ति माँ स्कंदमाता के स्वरुप की पूजा करता है वह वर्ष भर निरोगी रहता है। जिस व्यक्ति की बुध्दि कमजोर है या जिन बच्चों को पढ़ाई करने का मन नहीं करता उन्हें माँ स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए।
स्कंदमाता की कथा / 5th day of navratri katha in hindi
स्कंदमाता की कथा क्या है ? क्यों माता को स्कंदमाता कहा कहा जाता है ? इसकी कथा कुछ इस प्रकार है एक ताड़कासूर नामक असुर था जिसने भगवान ब्रह्मा जी से वरदान माँगा था की उसकी मृत्यु भगवन शिव और माता पार्वती जी के पुत्र के हांथो हो। चूँकि उसे असुर गुरु शंकराचार्य जी से ये पता लग गया था की भगवन शिव समाधी में चले गए हैं और उनकी समाधी लाखों वर्ष तक नहीं छूटती, इसी अवसर का लाभ लेकर उसने ब्रह्मा जी से वरदान माँगा और पूरी धरती में शासन कर लिया उसके उत्पातों के कारण पुरे धरती के लोग त्राहि त्राहि करने लगे और उसने देवताओं से भी युद्ध करके देवताओं को भी स्वर्ग से खदेड़ दिया , माता पारवती के साथ मिलकर देवताओं ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी और भगवान ने कामदेव को भस्म कर दिया। तत्पश्चात भगवन शिव के साथ माता पार्वती का विवाह हुआ और उनसे कार्तिकेय जी का जन्म हुआ। कार्तिकेय जी को माता पार्वती ने ही युद्ध सिखाया और उन्होंने ही उन्हें संपूर्ण विद्या प्रदान की और उन्होंने ही कार्तिकेय जी को युद्ध के लिए भेजा यही कारण हे की उनके इस स्वरुप का नाम स्कन्द माता पड़ा।
स्कंदमाता की पूजा कैसे करें?
सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएँ और स्नान करें और माँ के मंदिर में गई का दीपक अवश्य जलाएं ,माँ के आगे कुमकुम,अक्षत,पत्र अदि चढ़ाएं और वस्त्र अदि माँ को चढ़ाएं तत्पश्चात मिष्ठान और फल से माँ को भोग लगाएं और नीले रंग का वस्त्र माता को अर्पित करें।
स्कंदमाता स्तुति
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्॥
धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पञ्चम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल धारिणीम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥
skandamata mantra in hindi / स्कंदमाता बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नमः
माँ दुर्गा स्तुति मंत्र
श्री दुर्गा माता से प्रार्थना
सर्वमंगल मंगल्ये शिवे ! सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि ! नमोऽस्तुते ॥
ब्रह्मरूपे सदानन्दे परमानन्द स्वरूपिणि ।
बुद्धिसिद्धिप्रदे देवि, नारायणि नमोऽस्तुते ॥
शरणागत दीनार्तपरित्राण परायणे ।
सर्वस्यात्र्त्तिहरे देवि, नारायणि नमोऽस्तुते ॥
करुणामयि ! जगजननि, आनन्द व स्नेहमयी माँ! आपकी
सदा जय हो। हे अम्बे ! पंख-हीन पक्षी और भूख से पीड़ित बच्चे जिस
प्रकार अपनी माँ की राह देखते रहते हैं, उसी प्रकार मैं आपकी दया
की प्रतीक्षा कर रहा हूँ। हे अमृतमयी माँ, आप शीघ्र ही आकर मुझे
दर्शन दें। मैं आपका रहस्य जान सकूँ, ऐसी बुद्धि मुझे प्रदान करें।
प्रथम पाठ देवी कवच, करे नित्य मन लाय।
इच्छित धन, सुख-सम्पदा, लो देवी से पाय ॥
क्षमा-प्रार्थना
परमेश्वरि ! मेरे द्वारा रात-दिन सहस्त्रों अपराध होते रहते हैं। ‘यह
मेरा दास है’-यों समझकर मेरे उन अपराधों को तुम कृपापूर्वक
क्षमा करो ॥1॥ परमेश्वरि ! मैं आवाहन नहीं जानता, विसर्जन करना
नहीं जानता तथा पूजा करने का ढंग भी नहीं जानता। क्षमा
करो ॥2॥ देवि ! सुरेश्वरि ! मैंने जो मन्त्रहीन, क्रियाहीन और भक्तिहीन
पूजन किया है, वह सब आपकी कृपा से पूर्ण हो ॥3॥ सैकड़ों
अपराध करके भी जो तुम्हारी शरण में जा ‘जगदम्बे’ कहकर
पुकारता है, उसे वह गति प्राप्त होती है जो ब्रह्मादि देवताओं के लिए
भी सुलभ नहीं है ॥4॥ जगदम्बिके! मैं अपराधी हूँ, तुम्हारी शरण में
आया हूँ। इस समय दया का पात्र हूँ। तुम जैसा चाहो, करो ॥5॥
देवि ! परमेश्वरि ! अज्ञान से, भूल से अथवा बुद्धि भ्रान्त होने के
कारण मैंने जो न्यूनता या अधिकता कर दी हो, वह सब क्षमा करो
और प्रसन्न होओ ॥6॥ सच्चिदानन्दस्वरूपा परमेश्वरि ! जगत्माता
कामेश्वरि ! तुम प्रेमपूर्वक मेरी यह पूजा स्वीकार करो और मुझ पर
प्रसन्न रहो ॥7॥ देवि ! सुरेश्वरि ! तुम गोपनीय से भी गोपनीय वस्तु
की रक्षा करने वाली हो। मेरे निवेदन किए हुए इस जप को ग्रहण
करो। तुम्हारी कृपा से मुझे सिद्धि प्राप्त हो ॥৪॥
मन्त्र जपने की सरल विधि
निम्न मन्त्र से देवी का ध्यान एवं पूजन करें……
ॐ नमस्तेऽस्तु महारौद्रे महाघोर-पराक्रमे । महाबले महोत्साहे महाभयविनाशिनि ।।
प्रतिदिन स्नान/शुद्धिकरण करके प्रातः सायं, रोरी, चन्दन, सिन्दूर, अक्षत, पुष्प, प्रसाद, जल से श्रद्धा पूर्वक देवी की प्रतिमा का पूजन करें। उन्हें धूप, दीप दिखायें और मन्त्र जप आरंभ कर दें। समयाभाव हो तो शुद्धता पूर्वक भगवती का मन में ध्यान करके जप करें। भक्तो! उपासना में भक्ति-भाव की प्रधानता होती है।
दाहिने हाथ में तुलसी अथवा चन्दन की माला लेकर प्रतिदिन एक माला/ ग्यारह माला जप करें। जपते समय निम्न मन्त्र से माला की भी पूजा कर लें।
ॐ अविघ्नं कुरु माले त्वं गृह्णामि दक्षिणे करे। जपकाले च सिद्ध्यर्थं प्रसीद मम सिद्धये ।।
जप मुद्रा – पूर्वाभिमुख (पूर्व की ओर मुँह करके) पद्मासन में (आलथी- पालथी मारकर) बैठ जायें। फिर दाहिने हाथ की अनामिका और मध्यमा अंगुलि एवं अंगुठे के मध्य माला का एक-एक मनका (दाना) बढ़ाते हुए मन्त्र जप करें।
मन्त्र जप संख्या – तीन/नौ/ग्यारह/सोलह बार/एक माला/दस माला या इससे अधिक यथा साध्य यथा समय।
जप के उपरान्त अपना पावन जप देवी को अर्पित करें इस निवेदन के साथ कि हे देवि ! आप मेरे जप मन्त्र को स्वीकार करें तथा अपने कृपा प्रसाद से मुझे मनोवांछित फल प्रदान करें।
ॐ जय माता दुर्गे
इसके अतिरिक्त, ध्यान रखें:
- जप करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- एक शांत और निर्जन स्थान चुनें जहाँ आपको कोई परेशान न करे।
- पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें और दीपक जलाएं।
- मन्त्र जप करते समय मन को एकाग्र रखें और देवी की कल्पना करें।
- मन्त्र जप धीमी गति से और स्पष्ट उच्चारण के साथ करें।
- नियमित रूप से जप करें।
FAQ’s
नवरात्रि में पांचवा दिन किसका होता है?5th day of navratri aarti
नवरात्री का पांचवा दिन माँ स्कंदमाता का होता है।
स्कंदमाता का अर्थ क्या होता है?
स्कंदमाता का अर्थ होता है स्कन्द की माता यानि कार्तिकेय भगवान्की माता चूँकि कार्तिकेय महाराज का एक नाम स्कन्द भी है।
स्कंदमाता को क्या भोग लगाया जाता है?5th Day of Navratri Bhog
माँ के आगे कुमकुम,अक्षत,पत्र अदि चढ़ाएं और वस्त्र अदि माँ को चढ़ाएं तत्पश्चात मिष्ठान और फल से माँ को भोग लगाएं
स्कंदमाता का प्रिय रंग कौन सा है?skandamata colour
माँ स्कन्द माता को नीला रंग पसंद है।
स्कंदमाता की गोद में कौन है
स्कन्द माता की गोद में स्कन्द यानि की कार्तिकेय भगवान हैं।
स्कंदमाता का भाव क्या है?
स्कंदमाता का भाव है वात्सल्यता और ममता।
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माता की फोटो प्रति करने के लिए हमारे चैनल को follow कीजिए।
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माता रानी के भजन लिखित में
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