बेलपत्ते ले आओ सारे

शिव जी के भजन हिंदी में लिखे हुए बेलपत्ते ले आओ सारे

बेलपत्ते ले आओ सारे
भोले बाबा को सजाना है

1. हाथ में लोटा गंगाजल पानी
पट खोल पुजारी रे मुझे चरण धुलाना है

2. हाथ में मेरे लाल लाल चंदन
पट खोल पुजारी रे मुझे तिलक लगाना है

3. हाथ में मेरे फूल बेलपत्ते
पट खोल पुजारी रे मुझे भोले को सजाना है

4. हाथ में मेरे भंगिया का लोटा
पट खोल पुजारी रे मुझे भोग लगाना है

5. हाथ में मेरे दीया और बाती
पट खोल पुजारी रे मैंने जोत जलाना है

शिव जी के भजन हिंदी में लिखे हुए बेलपत्ते ले आओ सारे

🌹प्ररणायक कहानी🌹

🙏प्रभु का ह्रदय🙏

यह सब जानते है कि यह सारा संसार मां लक्ष्मी की कृपा से चलता है बिना लक्ष्मी के यहां एक शुई तक नहीं मिलती। और मनुष्य के सारे कार्य लक्ष्मी से ही जुड़े हैं,,

एक बार माता लक्ष्मी को अभिमान हो गया। और प्रभु नारायण से बोली कि यह सारा संसार में चलातीं हूं,, प्रभु बोले ऐसा नहीं है देवी,,

यह संसार मेरे प्रबल से चलता है। और संसार में जितने जीव जन्तु है वह मेरे अधीन है। सभी का पालन में ही करता हूं,,

तभी लक्ष्मी मां बोली प्रभु चलो पृथ्वी लोक पर चलकर देखते हैं कोन संसार को चला रहा है!! तब लक्ष्मी नारायण जी पृथ्वी लोक पर आए।। और देखा की कुछ लोग एक अर्थी लेकर जा रहें थे!! तभी लक्ष्मी मां ने अपनी माया से अर्थी के सामने सोने के सिक्के डाल दिए,,

सभी लोग अर्थी को छोड़कर सिक्के बीनने लगे !! तब लक्ष्मी मां प्रभु से बोली !! देखा प्रभु यह सब लोग सिर्फ मुझे ही पसंद करते है,,,,

तब नारायण जी बोले नहीं देवी। एक बार गौर से देखो सभी लोग आपको पसंद नहीं करते!! तभी लक्ष्मी मां की नज़र अर्थी पर गई और बोली यह व्यक्ति तो मरा हुआ है,,,

तब नारायण जी ने कहा हां देवी।। जिसके ह्रदय में,, में बैठा हूं वही लोग आपको पसंद करते है।। और जिसके ह्रदय से में निकल गया वह लोग आपको पसंद नहीं करते क्योंकि फिर वह व्यक्ति मेरे अधीन होता है,,,

तभी लक्ष्मी मां का अभिमान टूट गया और प्रभु के चरणों में गिरकर माफी मांगी।। और दोनों वैकुंठ धाम वापस चलें गए,, धन्यवाद 🙏🌹जय लक्ष्मी नारायण 🙏📝 पवन ठाकुर🙏

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🚩जगत का स्वरुप 🚩

📝पवन तोमर🙏🙏

एक बार पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा प्रभु जगत का स्वरुप केसा है

भगवान शिव पार्वती जी को जगत का स्वरुप दिखाने के लिए उन्हें साथ लेकर चल दिये नन्दी पर सवार होकर मत्युलोक की ओर।मत्युलोक में अकार इन्सान का रूप धारण किया

शिव जी ने पार्वती जी से कहा मे नन्दी पर सवार होकर चलता हूं और तुम मेरे पिछे पिछे चलों और जगत का स्वरुप देखो

अब लोगों ने देखा और कहा यह आदमी कितना नालायक और निर्दयी है कि खुद तों बैठा है वेल की सवारी पर और बैचारी सुकुमारी लड़की को पैदल चला रहा है

कुछ दूर जाने के बाद शिवजी ने पार्वती जी से कहा अब आप बैल पर बैठ जाओ और में पैदल चलता हूं। इस प्रकार कुछ दूर चलने पर फिर लोग मिले और बोले यह आदमी कितना स्त्री का गुलाम है खुद पैदल चल रहा है और स्त्री को बैल पर बैठाकर ले जा रहा है

कुछ आगे जाकर शिवजी वोले अब हम दोनों नन्दी पर बैठ कर चलते हैं और शिवजी और पार्वती जी नन्दी पर सवार होकर चलने लगे तब कुछ दूर जाने पर लोग मिले और बोले इन दोनों को दया भी नहीं आती विचारे सीधे साधे बुड्ढे बैल पर दो दो लोग सवार है

फिर आगे जाकर तत्पश्चात शिवजी ने कहा पार्वती जी से अब हम दोनों पैदल चलते हैं आगे जाकर कुछ दूरी पर फिर कुछ लोग मिले और कहने लगें हमने ऐसे बेबकूप नहीं देख की सवारी साथ में हैं ओर दोनों पैदल चल रहै है

तब शिवजी ने पार्वती जी से कहा अब बताओ जगत की कोन सी बात मानें। जगत का स्वरुप यही है

कहानी🌹🌹

💐💐 एक घंटे का समय🙏🙏

एक बार भोलेनाथ का भक्त,, भोलेनाथ से बोला,,, प्रभु मुझे जीवन भर सुख शान्ति चाहिए,,

भोलेनाथ ने तुरन्त हां कर दी

भक्त,,मुझे अपने परिवार के लिए भी जिन्दगी भर के लिए सुख चैन चाहिए

भोलेनाथ ने हां कर दी,,

भक्त,,,मुझे अपने रिश्तेदारों की भी सलामती चाहिए भोलेनाथ ने हां कर दी,,

भक्त,,,बहुत प्रसन्न हुआ,, कहा मुझे मेरे जीवन में कोई दुःख तकलीफ नहीं होनी चाहिए,,

भोलेनाथ ने तुरन्त हामी भर दी,,

भक्त,,भोलेनाथ से बोला,, प्रभु आपकी कोई शर्त

भोलेनाथ हंसे और बोले,, हां एक छोटी सी शर्त है रोज़ एक घंटे का समय निकालकर (ॐ नमः शिवाय) का जाप करना है आपको,,,,

भक्त बोला,, मैं ये नहीं कर सकता प्रभु,, इस भागती दौड़ती जिंदगी में किसके पास समय है,,

भोलेनाथ बोले,, तेरे एक घंटा मंत्र जाप के बदले में,, में तुझे,, तेरे परिवार को,, और तेरे रिश्तेदारों को,, उम्र भर सुख चैन खुशियां देने का वादा करता हूं,,

जिन्दगी में तुम्हें कोई दुःख तकलीफ नहीं होगी,, और तुम हर परेशानी से मुक्त रहोगे,,

भक्त बोला,, ना प्रभु ना,, में एक घंटा मंत्र जाप नहीं कर सकता,, भोलेनाथ बोले एक बार फिर सोच लो,, भक्त नहीं होगा प्रभु,,

तब से आज तक मनुष्य,,दुःख,,दर्द,,तकलीफ भुगत रहा है वो ,,नाम,, दान,, वादा,, दावा,, और दर्शन तो कर लेता है पर एक घंटा मंत्र जाप नहीं कर सकता

भोलेनाथ कहते हैं कि यह मनुष्य भी अजीब है,,

ढाई घंटे फिल्म देख सकता है,, तबियत ख़राब होने पर ढाई घंटे हॉस्पिटल की लाइन में लग सकता है,,, ढाई घंटे योगा कर सकता है,, घंटों मोबाइल पर व्यस्त रह सकता है,, पूरा पूरा दिन ट्रेन में सफर कर सकता है,, पार्टीयों में घंटों टाइम पास कर सकता है,,,

लेकिन एक घंटा मंत्र जाप नहीं कर सकता

प्रभु,,मात्र एक घंटा मंत्र जाप के बदले में मनुष्य के,, दुःख,, दर्द,, तकलीफ,, संकट,, बीमारियां दूर करने की गारंटी देते हैं जिन्दगी में खुशियां देने का वादा करते हैं,,

पर प्रभु की एक छोटी सी शर्त मनुष्य को मंजूर नहीं

शायद,,, इसी वजह से मनुष्य दुःख दर्द परेशानियों को झेल रहा है,,,,,,हो सकें तो प्रभु के लिए थोड़ा टाइम ज़रूर निकालें ,,

अपने लिए,,, अपनी आत्मा के कल्याण के लिए,,

( एक प्रेरणादायक कहानी )

एक गाँव में भगवान शिव का परमभक्त एक ब्राह्मण रहता था। पंडितजी जब तक रोज सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यकर्मो से निवृत होने के पश्चात् भगवान शंकर का पूजन नहीं कर लेते, तब तक उन्हें चैन नहीं पड़ता था। जो कुछ भी दान दक्षिणा में आ जाता उसी से पंडित जी अपना गुजारा करते थे और दयालु इतने थे कि जब भी कोई जरूरत मंद मिल जाता, अपनी क्षमता के अनुसार उसकी सेवा जरुर करते थे। इस कारण शिव के परमभक्त ब्राह्मण देवता ओढ़ी हुई गरीबी का जीवन व्यतीत कर रहे थे।

पंडितजी की इस दानी प्रवृति से उनकी पत्नी उनसे चिढ़ती तो थी, किन्तु उनकी भक्ति परायणता को देख उनसे अत्यधिक प्रेम करती थी। इसलिए वह कभी भी उनका अपमान नहीं करती थी। साथ ही अपनी जरूरत का धन वह आस – पड़ोस में मजदूरी करके जुटा लेती थी।

एक समय ऐसा आया जब मन्दिर में दान – दक्षिणा कम आने लगी, जिससे पंडित जी को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। घर की मूल आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होने के कारण ब्राह्मणी दुखी रहने लगी।

इसी तरह दिन बीतने लगे। एक दिन महाशिवरात्रि का दिन आया। उस दिन भी पंडित जी हमेशा की तरह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यकर्मो से निवृत होने के लिए नदी की ओर चल दिए।

संयोग से उस समय उस राह से पार्वती और शिवजी गुजर रहे थे। अचानक से पार्वतीजी की नजर पंडितजी पर पड़ी। आज पंडितजी महाशिवरात्रि को लेकर उतने उत्साहित नहीं थे, जितने की अक्सर हुआ करते थे। पार्वतीजी को बात समझते देर नहीं लगी।

उन्होंने शिवजी से कहा – “भगवन् ! यह ब्राह्मण देवता ! प्रतिदिन आपकी उपासना करते है, फिर भी आपको इसकी चिंता नहीं है !”

पार्वतीजी की बात सुनकर शिवजी बोले – “देवी ! अपने भक्तों की चिंता मैं नहीं करूँगा तो कौन करेगा !”

पार्वतीजी – “ तो हे देव ! आपने अब तक उसकी सहायता क्यों नहीं की ?”

शिवजी – “ देवी ! आप निश्चिन्त रहिये, अब तक उसने जितने बिल्वपत्र शिवलिंग पर चढ़ाएं है, वही आजरात्रि में उसे बिल्वपत्र उसे धनपति बना देंगे।

यह बातचीत करके पार्वतीजी और शिवजी तो चल दिए। किन्तु संयोग तो देखिये ! उसी समय उस राह से एक व्यापारी गुजर रहा था। उसने छुप कर शिव – पार्वती का यह वार्तालाप सुन लिया।

व्यापारी ने अपना दिमाग चलाया। अगर बिल्वपत्र से ब्राह्मण धनपति हो सकता है, तो फिर मैं क्यों नहीं हो सकता। यही सोच वह ब्राह्मण के घर पहुँच गया और ब्राह्मण से बोला – “ पंडितजी ! आपने अब तक जितने भी बिल्वपत्र शिवपूजन में चढ़ाये है, वह सब मुझे दे दीजिए, बदले में मैं आपको १०० स्वर्ण मुद्राऐं दूंगा।

पंडित जी ने अपनी पत्नी से पूछा तो वह बोली – “ पूण्य का दान ठीक तो नहीं, किन्तु दे दीजिए, हमें धन जरूरत है, इसलिए दे दीजिए”

पंडितजी ने सारे बिल्वपत्र के बोरे में भरकर सेठजी को दे दिए।

बिल्वपत्रों का बोरा लेकर सेठजी पहुँच गये मन्दिर और शिवलिंग पर चढ़ाकर देखने लगे तमाशा कि कब शिवजी कृपा करे, और कब वह धनपति हो।

प्रतीक्षा करते – करते सेठजी को आधी रात हो गई। सेठजी चमत्कार देखने के लिए बहुत उतावले हो रहे थे। आखिर तीसरा पहर गुजरने के बाद सेठजी के सब्र का बांध टूट ही गया और क्रोध ने आकर सेठजी शिवलिंग को झकझोरने लगे।

अब हुआ चमत्कार ! सेठजी के हाथ शिवलिंग से ही चिपके रह गये। उन्होंने बहुत प्रयास किया किन्तु हाथ हिले तक नहीं। थक – हारकर सेठजी शिवजी से क्षमा – याचना करने लगे।

तो शिवजी बोले – “ लोभी सेठ ! जिस ब्राह्मण से तूने ये बिल्वपत्र ख़रीदे है उसे १००० स्वर्ण मुद्राऐं दे तब जाकर तेरे हाथ खुलेंगे।

प्रातःकाल जब पंडित जी पूजन के लिए आये तो देखा कि सेठ शिवलिंग पर हाथ चिपकाकर रो रहा है। उन्होंने पूछा तो सेठ बोला – “ पंडितजी ! शीघ्रता से मेरे बेटे को १००० स्वर्ण मुद्राए लेकर मन्दिर आने को कहिये।

पंडितजी ने सेठ के बेटे को बुलाया और सेठ ने वह स्वर्ण मुद्राएँ ब्राहमण को दिलवा दी और सेठ मुक्त हो गया।

अब पार्वतीजी शिवजी से पूछती है, “हे नाथ ! आपने अब तक अपने भक्त को कोई धन नहीं दिया ?”

शिवजी बोले – “ देवी ! मेरे पास कहाँ धन है, जो दूंगा। किन्तु मेरा भक्त अब गरीब नहीं है। देखिये !

🙏राधे राधे जी🙏