ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम्

भोले बाबा के ढोलक वाले भजन लिरिक्स ॐ मंगलम्

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम् ॥

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रुप मंगलम् शिव शृंगार मंगलम् ।

भस्मांगधारीका परीवार मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम् ॥

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पर्वत कैलाश का आधार मंगलम् ।

शंभू महाशक्ति है साकार मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम् ॥

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ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ।

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॥

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जटा मंगलम् गंगाधार मंगलम् ।

चंद्र मंगलम् चंद्राकार मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम् ॥

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तीन नयनधारी है त्रिकाल मंगलम् ।

नीलकंठधारी महाकाल मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम् ॥

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कंठमुंडमाल सर्फ हार मंगलम् ।

कालिसंग काल प्रलयंकार मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम् ॥

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रुद्र मंगलम् रुद्राक्ष मंगलम् ।

चतुर्भुज शंभू के शुभ हाथ मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम् ॥

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ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ।

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॥

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त्रिशूल मंगलम् डमरुवात मंगलम् ।

है अंत मंगलम् मध्य आद्य मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम् ॥

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दिव्य अंग वस्त्र व्याघ्रचर्म मंगलम् ।

शंभू महादेव के है मर्म मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम् ॥

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दिव्य देव के दोनो चरण मंगलम् ।

प्रभु अविनाशी के पदत्राण मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवारं गलम् ॥

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है वाम अंग पार्वती देवी मंगलम् ।

चरणोंमें शिवगण है सारे सेवी मंगलं

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम् ॥

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पुत्र कार्तिकेय श्री प्रथमेश मंगलम् ।

देवों के देव है गणेश मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम्॥

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व्दादशज्योतिर्लिंग है शिवनाथमंगलं

सोमेश्वरनाथ विश्वनाथ मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम् ॥

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रामेश्वर शंभू है केदार मंगलम् ।

घृष्मेश्वर भीमा ओंकार मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम् ॥

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मल्लिकार्जुन नागेश्वरनाथ मंगलम् ।

महाकालेश्वर वैद्यनाथ मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम् ॥

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त्र्यंबकेश्वर शिव संचार मंगलम् ।

कणकण में शंभू निराकार मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार गलम् ॥

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ॐ नमः शिवायका उच्चार मंगलम् ।

महामंत्र महिमा आकार मंगलम् ।

मुक्ति भुक्ति दाता शिवव्दार मंगलम् ।

नमन वंदना से भव पार मंगलम् ।

ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।

शिव मंगलम् सोमवार मंगलम्

भोले बाबा के ढोलक वाले भजन लिरिक्स ॐ मंगलम्

एक राजा ने प्रसन्न मन से अपने मंत्री से उसकी सबसे बड़ी इच्छा के बारे में पूछा। मंत्री ने शरमाते हुए राज्य का एक छोटा सा हिस्सा देने की इच्छा जताई। राजा ने मंत्री को आश्चर्यचकित करते हुए आधा राज्य देने की पेशकश की, लेकिन साथ ही यह भी घोषणा की कि अगर मंत्री तीस दिनों में तीन सवालों के जवाब नहीं दे पाया तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाएगा। सवाल थे:

मानव जीवन का सबसे बड़ा सच क्या है?
मानव जीवन का सबसे बड़ा धोखा क्या है?
मानव जीवन की सबसे बड़ी कमजोरी क्या है?

मंत्री ने हर जगह जवाब ढूँढ़ा लेकिन कोई भी जवाब उसे संतुष्ट करने वाला नहीं मिला। आखिरी दिन उसकी मुलाक़ात एक भूतपूर्व मंत्री से हुई जो एक गरीब आदमी की तरह रह रहा था। इस आदमी ने जवाब दिया:

श्रीकृष्ण की माया: सुदामा की कहानी

एक दिन श्रीकृष्ण ने कहा, “सुदामा, आओ, हम गोमती में स्नान करने चलें।” दोनों गोमती के किनारे गए, अपने कपड़े उतारे और नदी में प्रवेश किया। श्रीकृष्ण स्नान करके किनारे लौट आए और अपने पीले वस्त्र पहनने लगे। सुदामा ने एक और डुबकी लगाई, तभी श्रीकृष्ण ने उन्हें अपनी माया दिखाई।

सुदामा को लगा कि नदी में बाढ़ आ गई है। वह बहता जा रहा था, किसी तरह किनारे पर रुका। गंगा घाट पर चढ़कर वह चलने लगा। चलते-चलते वह एक गाँव के पास पहुँचा, जहाँ एक मादा हाथी ने उसे फूलों की माला पहनाई। बहुत से लोग इकट्ठा हो गए और बोले, “हमारे देश के राजा का निधन हो गया है। यहाँ की परंपरा है कि राजा की मृत्यु के बाद जिस किसी को मादा हाथी माला पहनाएगी, वही हमारा नया राजा बनेगा। मादा हाथी ने तुम्हें माला पहनाई है, इसलिए अब तुम हमारे राजा हो।”

सुदामा हैरान रह गया, लेकिन वह राजा बन गया और एक राजकुमारी से विवाह भी कर लिया। उनके दो बेटे भी हुए और उनका जीवन खुशी से बीतने लगा। एक दिन सुदामा की पत्नी बीमार हो गई और मर गई। पत्नी की मृत्यु के शोक में सुदामा रोने लगे। राज्य के लोग भी वहाँ पहुँचे और बोले, “राजा जी, मत रोइए। यह तो माया नगरी का नियम है। आपकी पत्नी की चिता में आपको भी प्रवेश करना होगा।”

लंका के शासक रावण की माँग

यह कहानी महार्षि कंबन द्वारा तमिल भाषा में लिखित “इरामा-अवतारम” से ली गई है, जो वाल्मीकि रामायण और तुलसी रामायण में नहीं मिलती।

श्रीराम ने समुद्र पर पुल बनाने के बाद, महेश्वर-लिंग-विग्रह की स्थापना के लिए रावण को आचार्य के रूप में आमंत्रित करने के लिए जामवंत को भेजा। जामवंत ने रावण को यह संदेश दिया कि श्रीराम ने उन्हें आचार्य के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया है। रावण ने इसे सम्मानपूर्वक स्वीकार किया।

रावण ने सीता को पुष्पक विमान में बैठाकर श्रीराम के पास ले गया और खुद आचार्य के रूप में अनुष्ठान का संचालन किया। अनुष्ठान के दौरान, रावण ने श्रीराम से उनकी पत्नी के बिना अनुष्ठान पूरा नहीं होने की बात कही। तब श्रीराम ने सीता को अनुष्ठान में शामिल होने का आदेश दिया।

धन्ना जाट जी की कथा

एक बार की बात है, एक गाँव था जहाँ भागवत कथा का आयोजन किया गया था। एक पंडित कथा सुनाने आया था जो पूरे एक सप्ताह तक चली। अंतिम अनुष्ठान के बाद, जब पंडित दान लेकर घोड़े पर सवार होकर जाने को तैयार हुआ, तो धन्ना जाट नामक एक सीधे-सादे और गरीब किसान ने उसे रोक लिया।

धन्ना ने कहा, “हे पंडित जी! आपने कहा था कि जो भगवान की सेवा करता है, उसका बेड़ा पार हो जाता है। लेकिन मेरे पास भगवान की मूर्ति नहीं है और न ही मैं ठीक से पूजा करना जानता हूँ। कृपया मुझे भगवान की एक मूर्ति दे दीजिए।”

पंडित ने उत्तर दिया, “आप स्वयं ही एक मूर्ति ले आइए।”

धन्ना ने कहा, “लेकिन मैंने तो भगवान को कभी देखा ही नहीं, मैं उन्हें कैसे लाऊँगा?”

उन्होंने पिण्ड छुडाने को अपना भंग घोटने का सिलबट्टा उसे दिया और बोले- “ये ठाकुरजी हैं ! इनकी सेवा पूजा करना।’

“सच्ची भक्ति: सेवा और करुणा का मार्ग”

एक समय की बात है, एक शहर में एक धनवान सेठ रहता था। उसके पास बहुत दौलत थी और वह कई फैक्ट्रियों का मालिक था।

एक शाम, अचानक उसे बेचैनी की अनुभूति होने लगी। डॉक्टरों ने उसकी जांच की, लेकिन कोई बीमारी नहीं मिली। फिर भी उसकी बेचैनी बढ़ती गई। रात को नींद की गोलियां लेने के बावजूद भी वह नींद नहीं पा रहा था।

आखिरकार, आधी रात को वह अपने बगीचे में घूमने निकल गया। बाहर आने पर उसे थोड़ा सुकून मिला, तो वह सड़क पर चलने लगा। चलते-चलते वह बहुत दूर निकल आया और थककर एक चबूतरे पर बैठ गया।

तभी वहां एक कुत्ता आया और उसकी एक चप्पल ले गया। सेठ ने दूसरी चप्पल उठाकर उसका पीछा किया। कुत्ता एक झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके में घुस गया। जब सेठ नजदीक पहुंचा, तो कुत्ते ने चप्पल छोड़ दी और भाग गया।

इसी बीच, सेठ ने किसी के रोने की आवाज सुनी। वह आवाज एक झोपड़ी से आ रही थी। अंदर झांककर उसने देखा कि एक गरीब औरत अपनी बीमार बच्ची के लिए रो रही है और भगवान से मदद मांग रही है।

शुरू में सेठ वहां से चला जाना चाहता था, लेकिन फिर उसने औरत की मदद करने का फैसला किया। जब उसने दरवाजा खटखटाया तो औरत डर गई। सेठ ने उसे आश्वस्त किया और उसकी समस्या

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