शिव शंभू कमाल कर बैठे

भोले शंकर के प्राचीन भजन लिखित शंभू कमाल कर बैठे

वो तो गौरा से प्यार कर बैठे

मैं तो लाई जल का लोटा

वो तो गंगा से प्यार कर बैठे, वो तो…

मैं तो लाई घिस घिस के चंदन

वो तो चंदा से प्यार कर बैठे, वो तो…

मैं तो लाई फूलों की माला

वो तो नागों से प्यार कर बैठे, वो तो …

मैं तो लाई मेवा मिठाई

वो तो भंगिया से प्यार कर बैठे, वो तो ….

भोले शंकर के प्राचीन भजन लिखित शंभू कमाल कर बैठे

वृंदावन की महिमा अपरंपार और अपरिमित है। यह वृषभानु-नंदिनी श्रीमती राधा रानी की भूमि है। श्री धाम वृंदावन की महिमा का वर्णन करते समय राधा रानी की महिमा का वर्णन करना आवश्यक है। हमारी दयालु वृंदावन रानी अस्तित्व में सबसे श्रेष्ठ व्यक्तित्व हैं। वृंदावन की यह भूमि उनके चरण कमलों के छापों से धन्य है। इस ब्रह्मांड के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व भगवान ब्रह्मा ने बरसाना की चार पहाड़ियों (भानगढ़, मानगढ़, दानगढ़, विलासगढ़) बनने के लिए 1,20,000 वर्षों तक तपस्या की ताकि वे हमारी रानी के चरण कमलों की धूल प्राप्त कर सकें। यह राधा-श्यामासुंदर के मिलन और मिलन का स्थान है। यह इतना महान है कि उद्धव और ब्रह्मा जैसे लोग यहां घास के गुच्छे बनना चाहते हैं। यह वह स्थान है जहाँ गोविंद की सबसे बड़ी भक्त गोपियाँ विचरण करती थीं। मूलतः, वृंदावन इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि इसकी रानी संपूर्ण सृष्टि में सबसे उत्तम है। जब कोई वृंदावन में आता है, तो वह प्रिया-जी के हृदय में प्रवेश करता है। यह स्थान युगल सरकार को अत्यंत प्रिय है क्योंकि यह उनका मिलन स्थल है। इसलिए, जो कोई भी वृंदावन से जुड़ा है, वह हमारे दिव्य राजा और रानी को बहुत प्रिय है।

पहली बार आने वाले आगंतुक की नज़र से, जो कृष्ण में विश्वास नहीं करता:

यह जगह दलालों से भरी हुई है, जो हर पल आपको धोखा देने की कोशिश करते हैं, ठीक उसी समय से जब आप मथुरा स्टेशन पर पहुँचते हैं।

गाय, साधु बाबा हर जगह।

संकरी गलियाँ।

बंदर, बहुत ज़्यादा बंदरों का आतंक।

भिखारी, हर जगह।

छोटे से लेकर सबसे बड़े तक 5k से ज़्यादा मंदिर।

लेकिन, भक्त/प्रेमी/अनुयायी की नज़र से:

जो दलाल आपको धोखा देने की कोशिश करते हैं, वे वास्तव में दिल से अच्छे होते हैं, इसे भगवान की लीला मानें, आपने बाहरी दुनिया में जो भी पैसा बेईमानी से कमाया है, वह इस तरह से यहाँ चला जाएगा। वे स्थानीय लोग हैं जो अपनी जन्मभूमि को कभी नहीं छोड़ना चाहते। इसलिए उन्हें अपनी आजीविका चलानी पड़ती है।

कृष्ण गायों से बहुत प्यार करते थे, वे ग्वाला थे। गायों को भी उतना ही अधिकार है जितना किसी और को। शांति पाने की अपनी यात्रा में कई साधु इस पवित्र भूमि पर रुकते हैं, कुछ तो ठाकुरजी की अनुमति से यहीं रहते भी हैं।

यह भी पुराने शहरों में से एक है, पहली बार में यह आपको भ्रमित कर सकता है, लेकिन आपको इसकी संकरी गलियों से प्यार हो जाएगा।
बंदरों को वृंदावन में रहने और जो कुछ भी वे करना चाहते हैं, करने का वरदान मिला है, यह उनके राम अवतार के दौरान की गई मदद का बदला है।
हर वह व्यक्ति जो बाहरी दुनिया से परेशान, अपमानित, तंग आ चुका है, यहाँ रहता है, कुछ लोग भीख माँगना अपना पेशा बना लेते हैं। वे आपको सबसे अधिक परेशान करते हैं, लेकिन कहीं न कहीं वे संतुष्ट भी हैं।
यह पवित्र भूमि है, हर घर में मंदिर की उम्मीद करें।
लेकिन, यह एक ऐसी जगह है जो किसी और जैसी नहीं है, मेरा विश्वास करो यह अपने आप में एक दुनिया है। धन्य हैं वे लोग जो यहाँ पैदा हुए हैं।

🙏अटूट विश्वास🙏

एक 8 साल का बच्चा, 1 रूपये का सिक्का मुट्ठी में लेकर एक दुकान पर जाकर पूछने लगा,

–क्या आपकी दुकान में ईश्वर मिलेंगे?

दुकानदार ने यह बात सुनकर सिक्का नीचे फेंक दिया और बच्चे को निकाल दिया।

बच्चा पास की दुकान में जाकर 1 रूपये का सिक्का लेकर चुपचाप खड़ा रहा!

— ए लड़के.. 1 रूपये में तुम क्या चाहते हो?

— मुझे ईश्वर चाहिए। आपकी दुकान में है?

दूसरे दुकानदार ने भी भगा दिया।

लेकिन, उस अबोध बालक ने हार नहीं मानी। एक दुकान से दूसरी दुकान, दूसरी से तीसरी, ऐसा करते करते कुल चालीस दुकानों के चक्कर काटने के बाद एक बूढ़े दुकानदार के पास पहुंचा। उस बूढ़े दुकानदार ने पूछा,

— तुम ईश्वर को क्यों खरीदना चाहते हो? क्या करोगे ईश्वर लेकर?

पहली बार एक दुकानदार के मुंह से यह प्रश्न सुनकर बच्चे के चेहरे पर आशा की किरणें लहराईं ৷ लगता है इसी दुकान पर ही ईश्वर मिलेंगे !

बच्चे ने बड़े उत्साह से उत्तर दिया,

—-इस दुनिया में मां के अलावा मेरा और कोई नहीं है। मेरी मां दिनभर काम करके मेरे लिए खाना लाती है। मेरी मां अब अस्पताल में हैं। अगर मेरी मां मर गई तो मुझे कौन खिलाएगा ? डाक्टर ने कहा है कि अब सिर्फ ईश्वर ही तुम्हारी मां को बचा सकते हैं। क्या आपकी दुकान में ईश्वर मिलेंगे?

— हां, मिलेंगे…! कितने पैसे हैं तुम्हारे पास?

— सिर्फ एक रूपए।

— कोई दिक्कत नहीं है। एक रूपए में ही ईश्वर मिल सकते हैं।

दुकानदार बच्चे के हाथ से एक रूपए लेकर उसने पाया कि एक रूपए में एक गिलास पानी के अलावा बेचने के लिए और कुछ भी नहीं है। इसलिए उस बच्चे को फिल्टर से एक गिलास पानी भरकर दिया और कहा, यह पानी पिलाने से ही तुम्हारी मां ठीक हो जाएगी।

अगले दिन कुछ मेडिकल स्पेशलिस्ट उस अस्पताल में गए। बच्चे की मां का आप्रेशन हुआ और बहुत जल्दी ही वह स्वस्थ हो उठीं।

डिस्चार्ज के कागज़ पर अस्पताल का बिल देखकर उस महिला के होश उड़ गए। डॉक्टर ने उन्हें आश्वासन देकर कहा, “टेंशन की कोई बात नहीं है। एक वृद्ध सज्जन ने आपके सारे बिल चुका दिए हैं। साथ में एक चिट्ठी भी दी है”।

महिला चिट्ठी खोलकर पढ़ने लगी, उसमें लिखा था-

“मुझे धन्यवाद देने की कोई आवश्यकता नहीं है। आपको तो स्वयं ईश्वर ने ही बचाया है … मैं तो सिर्फ एक ज़रिया हूं। यदि आप धन्यवाद देना ही चाहती हैं तो अपने अबोध बच्चे को दीजिए जो सिर्फ एक रूपए लेकर नासमझों की तरह ईश्वर को ढूंढने निकल पड़ा। उसके मन में यह दृढ़ विश्वास था कि एकमात्र ईश्वर ही आपको बचा सकते है। विश्वास इसी को ही कहते हैं। ईश्वर को ढूंढने के लिए करोड़ों रुपए दान करने की ज़रूरत नहीं होती, यदि मन में अटूट विश्वास हो तो वे एक रूपए में भी मिल सकते हैं।”

नर्मदा नदी के हर पत्थर में शिव हैं..

प्राचीनकाल में नर्मदा नदी ने बहुत वर्षों तक तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न किया। प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने वर मांगने को कहा। नर्मदाजी ने कहा‌:- ’ब्रह्मा जी! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे गंगाजी के समान कर दीजिए।’

ब्रह्माजी ने मुस्कराते हुए कहा – ’यदि कोई दूसरा देवता भगवान शिव की बराबरी कर ले, कोई दूसरा पुरुष भगवान विष्णु के समान हो जाए, कोई दूसरी नारी पार्वतीजी की समानता कर ले और कोई दूसरी नगरी काशीपुरी की बराबरी कर सके तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान हो सकती है।’

ब्रह्माजी की बात सुनकर नर्मदा उनके वरदान का त्याग करके काशी चली गयीं और वहां पिलपिलातीर्थ में शिवलिंग की स्थापना करके तप करने लगीं।

भगवान शंकर उनपर बहुत प्रसन्न हुए और वर मांगने के लिए कहा।

नर्मदा ने कहा – ’भगवन्! तुच्छ वर मांगने से क्या लाभ…? बस आपके चरणकमलों में मेरी भक्ति बनी रहे।’

नर्मदा की बात सुनकर भगवान शंकर बहुत प्रसन्न हो गए और बोले – ’नर्मदे! तुम्हारे तट पर जितने भी प्रस्तरखण्ड (पत्थर) हैं, वे सब मेरे वर से शिवलिंगरूप हो जाएंगे। गंगा में स्नान करने पर शीघ्र ही पाप का नाश होता है, यमुना सात दिन के स्नान से और सरस्वती तीन दिन के स्नान से सब पापों का नाश करती हैं परन्तु तुम दर्शनमात्र से सम्पूर्ण पापों का निवारण करने वाली होगी। तुमने जो नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की है, वह पुण्य और मोक्ष देने वाला होगा।’

भगवान शंकर उसी शिवलिंग में लीन हो गए। इतनी पवित्रता पाकर नर्मदा भी प्रसन्न हो गयीं। इसलिए कहा जाता है ‘नर्मदा का हर कंकर शिव शंकर है।’