अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो

हनुमान जी पर दोहे

हनुमान जी पर दोहे

अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो

राम की सेवा सरस विचार

प्रगट भये सेवक कपि तनु धारय्

आप हैं स्वयं रूद्र अवतार आपकी जय हो जय हो

अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो

जनम् ते जगी जठर की ज्वाल

गगन में मारी एक उछाल

ग्रसे रवि बाल जानी फल लाल आपकी जय हो जय हो

अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो

सूर्य का संकट मन अनुमान

चलाया वज्रा इंद्रा ने तान

लागियो हनु पड्यो नाम हनुमान आपकी जय हो जय हो जय हो

अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो

पाछिले पगन गमन बिनु खेद

पड़े नभ पथ मेहँ रवि से वेद

पाय को सके आप को भेद आपकी जय हो जय हो जय हो

अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो

मिलाय गुरु बनि ब्रम्ह और जीव

मिले दौउ सखा राम और सुग्रीव

आप गुण ज्ञान बुद्धि बल शील आपकी जय हो जय हो जय हो

अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो

कनक की नगरी लंक जलाय

सिया की सुधि ले धीर बधाय

राम को ऋणया लियो बनाय आपकी जय हो जय हो जय हो

अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो

संजीवन रात रात में आन

बचाई लखन लाल की जान

बने रघुवर के जीवन प्राण आपकी जय हो जय हो जय हो

अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो

भरत को प्रभु आगमन सुनाये

विरह बारिधि से लिए बचाए

सदा भक्तन की करो सहाय आपकी जय हो जय हो जय हो

अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो

फोड़ मणि डारि दिए दरबार

दिखाए चीर हृदय आगार

विराजित नित्य युगल सरकार आपकी जय हो जय हो जय हो

अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो

देखि सिन्दुर बिंदु सिय भाल

किये निज तन सिंदूर से लाल

निरखि रघुवर हुए निहाल आपकी जय हो जय हो जय हो

अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो

उराए तुलसी के मन प्राण

मिलाये चित्रकूट में राम

रचाये मानस जग अभिराम आपकी जय हो जय हो जय हो

अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो

करो अब नारायण पर वृष्टि

निरंतर होये कथा वृष्टि

दरसति रहे राम मय सृष्टि आपकी जय हो जय हो जय हो

अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो

जय सियाराम जय जय हनुमान

संकटमोचन कृपा निधान

रक्षा कीजिए श्री हनुमान

जय जय विघ्न हरण हनुमान

राम नाम रसिया श्री हनुमान

प्रभु मन बसिया वीर हनुमान

किशोरी जी के बबुआ श्री हनुमान

श्री राम जय राम जय जय राम

हनुमान जी पर दोहे