श्री विश्वकर्मा पूजा: सृजन और निर्माण के देवता की आराधना

why vishwakarma puja is celebrated on 17th September

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विश्वकर्मा पूजा का महत्व

हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को सृजन और निर्माण के देवता के रूप में पूजा जाता है। वे देवताओं के इंजीनियर और आर्किटेक्ट माने जाते हैं। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही सृष्टि का निर्माण किया और वे वास्तुशिल्प के महान ज्ञाता हैं। भारत में विशेष रूप से उद्योगों, फैक्ट्रियों, और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। इस दिन को विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है।

विश्वकर्मा जी का परिचय

भगवान विश्वकर्मा को देव शिल्पी कहा जाता है, जिनकी कृतियों का वर्णन ऋग्वेद में भी मिलता है। विश्वकर्मा जी ने पौराणिक कथाओं के अनुसार स्वर्ण लंका, द्वारिका नगरी, पांडवों की इन्द्रप्रस्थ नगरी और पुष्पक विमान का निर्माण किया था। वे सृजन के देवता हैं और औजारों व मशीनों के पूजन से उनकी कृपा प्राप्त होती है।

पूजा का महत्व

विश्वकर्मा पूजा का महत्व किसी भी नए तकनीकी कार्य के शुभारंभ में देखा जाता है। यह दिन खासतौर पर कामकाजी लोग, जैसे इंजीनियर्स, वर्कर्स, और निर्माण से जुड़े लोग, बड़े ही श्रद्धाभाव से अपने औजारों और मशीनों की पूजा करते हैं। इससे यह मान्यता है कि व्यवसाय में आने वाली समस्याओं का समाधान होता है और तरक्की की राहें खुलती हैं।

पूजा विधि

विश्वकर्मा जयंती पर, विशेष रूप से फैक्ट्रियों, वर्कशॉप्स, और दुकानों में औजारों और मशीनों की सफाई करके उनका पूजन किया जाता है। पूजा करने के लिए भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित की जाती है और विधिवत तरीके से पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन औजारों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है और मशीनों को साफ करके उन पर गंगाजल का छिड़काव किया जाता है।

पूजा के नियम:

  1. औजारों का इस्तेमाल न करें: इस दिन औजारों का इस्तेमाल करना मना होता है। अपने कामकाजी उपकरणों को आराम दें।
  2. स्वच्छता: फैक्ट्री, ऑफिस, या दुकान की सफाई करें और सभी उपकरणों को साफ करें।
  3. गंगाजल का छिड़काव: सफाई के बाद गंगाजल का छिड़काव करें ताकि उपकरण और स्थान पवित्र हो जाएं।
  4. तामसिक भोजन से बचें: इस दिन मांस, मदिरा या तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए।
  5. दान: ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान करें, क्योंकि दान पुण्य से जीवन में समृद्धि आती है।

विश्वकर्मा पूजा की विधि

  1. प्रातः स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
  2. कलश स्थापना: पूजा स्थान पर कलश स्थापित करें जिसमें सप्तमी धान्य, सुपारी और दक्षिणा डाली जाती है।
  3. मूर्ति या तस्वीर: भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  4. दीप प्रज्वलन: दीप जलाएं और धूप, फूल, अक्षत, कुमकुम से भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें।
  5. आह्वान मंत्र: “हे विश्वकर्मा जी, इस मूर्ति में विराजिए और मेरी पूजा स्वीकार कीजिए।”
  6. आरती: विधिपूर्वक आरती करें। भगवान विश्वकर्मा की प्रसिद्ध आरती गाई जाती है। आरती श्री विश्वकर्मा जी की
    “जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा। सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा॥”

विश्वकर्मा पूजा में क्या करें और क्या न करें

  1. पूजा के दौरान: पूजा करते समय भगवान विष्णु का ध्यान भी अवश्य करें। भगवान विश्वकर्मा और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से विशेष लाभ होता है।
  2. दान: दान पुण्य के रूप में इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को दान देना चाहिए। यह आपके व्यापार में सफलता और समृद्धि लाता है।
  3. मांस-मदिरा से दूर रहें: विश्वकर्मा पूजा के दिन मांस और मदिरा का सेवन वर्जित होता है। तामसिक भोजन से बचें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  4. औजारों का इस्तेमाल न करें: विश्वकर्मा पूजा के दिन औजारों का इस्तेमाल करना निषिद्ध है। इस दिन मशीनों को आराम दें और उनकी पूजा करें।
  5. सफाई: फैक्ट्री, दुकान या घर में मशीनों की सफाई करने के बाद उन पर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। इससे शुद्धि और पवित्रता बनी रहती है।

विश्वकर्मा जी की कथाएँ और मान्यताएँ

भगवान विश्वकर्मा की महिमा और कार्यों का वर्णन कई पौराणिक कथाओं में मिलता है। उन्होंने रावण की स्वर्ण लंका, कृष्ण की द्वारिका नगरी, इन्द्र का वज्र, शिव का त्रिशूल और पांडवों की इन्द्रप्रस्थ नगरी का निर्माण किया था। विश्वकर्मा जी को देवताओं का इंजीनियर और आर्किटेक्ट माना जाता है। इनके बिना किसी भी निर्माण और सृजन कार्य का शुभारंभ नहीं होता।

विश्वकर्मा जयंती का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

विश्वकर्मा पूजा न केवल धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह भारत में औद्योगिक और व्यापारिक क्षेत्रों में भी विशेष महत्व रखती है। देशभर के फैक्ट्रियों और उद्योगों में इस दिन को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। भारत के कई हिस्सों में खासकर निर्माण क्षेत्र से जुड़े लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा करके उनसे सफलता की कामना करते हैं।

समृद्धि और सुख की प्राप्ति

विश्वकर्मा पूजा करने से व्यापार में आने वाली बाधाओं का अंत होता है और समृद्धि का द्वार खुलता है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से व्यापार में वृद्धि होती है, साथ ही नौकरी-व्यवसाय में सफलता और तरक्की प्राप्त होती है। यह दिन न केवल आर्थिक उन्नति का प्रतीक है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्रदान करता है।

निष्कर्ष

विश्वकर्मा जयंती भारतीय समाज के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है। यह न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्रों में भी इसे बड़ी श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा की पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है, साथ ही किसी भी निर्माण या तकनीकी कार्य का शुभारंभ होता है।

भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से व्यापार और नौकरी में तरक्की पाने के लिए श्रद्धाभाव से उनकी पूजा करें और अपनी प्रगति का मार्ग प्रशस्त करें।