anant chaturdashi 2023 in hindi
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्त्वपूर्ण पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 17 सितंबर को आ रहा है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है, साथ ही 14 गांठों वाला अनंत सूत्र भी धारण किया जाता है। अनंत चतुर्दशी का व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह हमारे जीवन में सुख-समृद्धि और धन-धान्य का वरदान लेकर आता है। इस लेख में हम जानेंगे अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि, व्रत कथा, 14 गांठों के रहस्य और इस दिन से जुड़ी विभिन्न धार्मिक मान्यताएं।
14 गांठों का रहस्य
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद अनंत सूत्र धारण किया जाता है। इस अनंत सूत्र में 14 गांठें लगाई जाती हैं, जो विशेष धार्मिक महत्व रखती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ये 14 गांठें 14 लोकों का प्रतीक होती हैं। ये लोक हैं:
- भूर्लोक
- भुवर्लोक
- स्वर्लोक
- महर्लोक
- जनलोक
- तपोलोक
- ब्रह्मलोक
- अतल
- वितल
- सतल
- रसातल
- तलातल
- महातल
- पाताल
हर गांठ एक लोक का प्रतिनिधित्व करती है, जिससे यह दर्शाया जाता है कि अनंत सूत्र धारण करने वाला व्यक्ति भगवान के संरक्षण में इन सभी लोकों से जुड़ा होता है। अनंत सूत्र धारण करने का अर्थ है कि भगवान विष्णु की कृपा हर लोक में सदैव बनी रहती है।
अनंत सूत्र बांधने के नियम
अनंत सूत्र बांधने के कुछ नियम होते हैं, जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अनंत सूत्र कपड़े या रेशम का होना चाहिए। यह माना जाता है कि पुरुष इसे अपने दाहिने हाथ में और महिलाएं इसे अपने बाएं हाथ में बांधती हैं। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।
व्रत का महत्व और विधि
अनंत चतुर्दशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति को अक्षय संपत्ति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। भगवान विष्णु के अनंत रूप का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ भी किया जाता है। इसे करने से व्यक्ति को धन, यश, वैभव और सुखों की प्राप्ति होती है।
पूजन विधि
अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा करने के लिए सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा घर में कलश की स्थापना करें और भगवान विष्णु का चित्र स्थापित करें। पूजा की तैयारी करते समय कच्चा धागा लें और उसमें 14 गांठें बांधें। यह धागा ही अनंत सूत्र कहलाता है। इसके बाद भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा करें।
अनंत चतुर्दशी व्रत कथा
अनंत चतुर्दशी से जुड़ी पौराणिक कथा महाभारत में वर्णित है। जब पांडव जुए में अपना सारा राज्य हार गए और वनवास का जीवन जी रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को अनंत चतुर्दशी का व्रत करने का परामर्श दिया। श्रीकृष्ण ने बताया कि इस व्रत के प्रभाव से उन्हें भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी, जिससे उनका खोया हुआ राज्य पुनः प्राप्त होगा। युधिष्ठिर ने इस व्रत का पालन किया, जिसके परिणामस्वरूप पांडव महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त कर सके और राज्य को चिरकाल तक सुख-शांति से भोगा।
इसी तरह की एक अन्य कथा राजा हरिशचंद्र से जुड़ी है। उन्होंने भी अपने जीवन के कठिन समय में अनंत चतुर्दशी व्रत का पालन किया था। इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें उनका खोया हुआ राज्य वापस दिया और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आई।
अनंत चतुर्दशी व्रत का पालन कैसे करें?
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल पर कलश की स्थापना करें। कलश में कमल का पुष्प और कुशा का सूत्र रखें।
- भगवान विष्णु और कलश को कुमकुम, हल्दी, और चावल अर्पित करें।
- हल्दी से रंगा हुआ कुशा का सूत्र तैयार करें और उसमें 14 गांठें लगाएं।
- भगवान विष्णु का आव्हान कर उन्हें दीप, धूप, और भोग अर्पित करें।
- पूजा के बाद सभी को अनंत सूत्र बांधें और भगवान से अपने कष्टों के निवारण की प्रार्थना करें।
अनंत चतुर्दशी और गणेश विसर्जन
अनंत चतुर्दशी का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू है गणेश विसर्जन। गणेश चतुर्थी के दिन से शुरू होने वाला गणपति उत्सव इस दिन अपने अंतिम चरण में पहुंचता है। देशभर में, खासकर महाराष्ट्र में, गणेश विसर्जन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश स्थापना के बाद, भक्त गणपति जी को 10 दिनों तक अपने घरों में विराजमान रखते हैं। मान्यता है कि इन 10 दिनों के दौरान भगवान गणेश भक्तों की इच्छाओं को सुनते और पूरी करते हैं। दस दिनों के इस सेवा के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन उन्हें विसर्जित किया जाता है, ताकि भगवान गणेश वापस अपने लोक में जाकर पुनः शीतलता प्राप्त कर सकें और अगले वर्ष फिर से अपने भक्तों के बीच लौट सकें।
अनंत चतुर्दशी व्रत के लाभ
अनंत चतुर्दशी व्रत को करने से व्यक्ति को अनगिनत लाभ मिलते हैं। यह व्रत न केवल शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि इसे करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति भी होती है। भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति के जीवन में धन, यश, वैभव, और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
इसके अतिरिक्त, यह व्रत परिवार में सुख-शांति बनाए रखने में मदद करता है। जो व्यक्ति इस व्रत का पालन श्रद्धा और भक्ति से करता है, उसके जीवन में कभी धन का अभाव नहीं होता और उसके कष्ट समाप्त हो जाते हैं। यही कारण है कि अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्व आज भी अपार है और इसे करने वाले भक्त भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त करते हैं।
निष्कर्ष
अनंत चतुर्दशी का व्रत धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व न केवल हमें भगवान विष्णु की अनंत शक्ति की याद दिलाता है, बल्कि हमें यह सिखाता है कि उनकी कृपा से जीवन में आने वाले हर कष्ट का समाधान संभव है। अनंत सूत्र के माध्यम से 14 लोकों का प्रतीकात्मक संबंध हमें यह प्रेरणा देता है कि ईश्वर की अनंत शक्ति हर जगह विद्यमान है, बस हमें अपनी भक्ति और श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करनी है।
इस वर्ष अनंत चतुर्दशी पर व्रत का पालन कर भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन के सभी कष्टों का निवारण करें।
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