esa damru bajaya bholenath ne lyrics
मै हिमाचल की बेटी, मेरा भोला बसे काशी।
सारी उम्र तेरी सेवा करुँगी, बनकर तेरी दासी ॥
शिव शिव शिव शिव शम्भू-2
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
बोल बम बोल बम…-2
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ।-4
डमरू को सुनकर जी कान्हाजी आये,
कान्हाजी आये संग में राधा भी आये।
बोल बम बोल बम….
वहां सखियों का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया॥
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया….
डमरू को सुनकर जी गणपत चले,
गणपत चले संग कार्तिक चले।
माँ अम्बे मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया॥
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया….
डमरू को सुनकर जी रामा जी आये,
राम जी आये संग लक्ष्मणजी आये।
मैया सीता का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया॥
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया….
डमरू को सुनकर जी ब्रम्हा चले,
यहाँ ब्रम्हा चले वहां विष्णु चले।
मैया लक्ष्मी का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया॥
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया….
डमरू को सुनकर जी गंगा चले,
गंगा चले वहाँ यमुना चले॥
वहां सरयू का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया॥
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया….
डमरू को सुनकर जी सूरज चले,
सूरज चले वहाँ चंदा चले।
वहां सारे तारों का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया॥
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया….
esa damru bajaya bholenath ne lyrics
हे प्यारी जू.. हे स्वामिन जू.. हे मेरी लाडो.. हे किशोरी जू.. हे मेरे प्यारे..हे मेरे गुरुदेव भगवान.. हे मेरे भगवन.. आज दिन भर में मेरे से जो भी कर्म बने हैं मन कर्म वचन द्वारा ,वे सबके सब आपके श्री चरणों में अर्पित है।
जो अच्छे कर्म हुए हैं वह आपकी कृपा से हुए हैं जो अधर्म आचरण ,बुरे कर्म, दुष्ट कर्म हुए हैं वह मेरी मूढ़ मति मेरी दुष्ट बुद्धि मेरी स्वार्थ बुद्धि मेरी मंदबुद्धि के कारण हुए हैं।
हे मेरे स्वामी है मेरे नाथ हे मेरी प्यारी जू हे मेरे गुरुदेव भगवान हे मेरे भगवन मुझे क्षमा करें मुझे सद्बुद्धि दो सद् मार्ग दो ,भक्ति हेतु शक्ति दो ,मेरे मन के विकारों को दूर करके मेरे मन मंदिर में बसो।
हे नाथ मुझ पर कृपा करो! कृपा करो!!
हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल की चतुर्थी से देशभर में गणेश चतुर्थी पर्व का शुभारंभ हो जाता है. कहते हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश धरती पर अवतरित होते हैं और अगले 10 दिनों तक अपने भक्तों को सेवा और भक्ति करने का अवसर देते हैं. 10 दिन तक चलने वाले इस महोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी पर होता है. अनंत चतुर्दशी तिथि को गणपति विसर्जन कर दिया जाता है. इस साल गणेश विसर्जन 17 सितंबर को होगा. गणेश भक्त इस त्योहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं. सड़कों से लेकर मंदिरों तक गणपत्ति बप्पा के जयकारे गूंजता हैं. इस त्योहार का सबसे अद्भुत नजारा मुंबई में देखने को मिलता है.
गणेश चतुर्थी के दिन घर, मंदिर से लेकर बड़े-बड़े पंडालों में गणेश भगवान की प्रतिमा स्थापित की जाती है और उनकी विधिवत उपासना की जाती है. फिर अनंत चतुर्दशी के दिन ‘गणपति बप्पा मोरिया’ के जयकारों के साथ इस प्रतिमा को विसर्जित कर दिया जाता है.
🌺गणेश चतुर्थी का स्थापना मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी 6 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 03 मिनट पर प्रारंभ होगी और 7 सितंबर को शाम 05 बजकर 39 मिनट पर इसका समापन होगा. ऐसे में गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना का मूहुर्त सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. ऐसे में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने के लिए आपको करीब 2 घंटे और 31 मिनट का समय मिलने वाला है.
🌺स्थापना और पूजन विधि :
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को प्रसन्न करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है. इस दिन सवेरे-सेवेर जल्दी उठकर स्नानादि कर लें. इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. उस पर पहले अक्षत रखें और चंदन से एक स्वस्तिक बनाएं. इसके बाद गणपति जी को स्थापित करें. गणेश जी को स्थापित करते समय ‘वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ. निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥’ मंत्र का पांच बार जाप करें.
अब गणेश जी को गंगाजल से स्नान कराएं. उन्हें वस्त्र, जनेऊ, चंदन, दूर्वा, अक्षत, धूप, दीप, शमी पत्ता, पीले फूल, और फल चढ़ाएं. गणपति जी को सिंदूर, दूर्वा, और घी चढ़ाएं. उन्हें 21 मोदक का भोग लगाएं. गणेश जी की आरती करें और मनोकामनाओं के लिए आशीर्वाद मांगें. इसके बाद गणपति को लड्डू का भोग लगाएं और उसे प्रसाद के रूप में वितरित करें.
🌺गणपति पूजा में न करें ये गलतियां
गणेश जी की मूर्ति को पूर्व या ईशान कोण में रखें. गणेश जी की मूर्ति को दक्षिण और दक्षिण पश्चिम कोण में न रखें. गणेश जी की मूर्ति पर तुलसी और शंख से जल न चढ़ाएं. पूजा में नीले और काले रंग के कपड़े न पहनें. चमड़े की चीजों का उपयोग वर्जित है.
🌺घर पर स्थापित करने के लिए कैसी होनी चाहिए गणपति की प्रतिमा
गणपति के बाईं सूंड में चंद्रमा का प्रभाव होता है और जैसे चंद्रमा का स्वभाव है शांत-शीतल और सौम्य उसी तरह बाईं ओर वाले सूंड के गणपति हमारे लिए श्री, लक्ष्मी, आनंद, सुख-समृद्धि, यश व ऐश्वर्य के दायक होते हैं.
वहीं दाईं ओर सूंड वाले गणपति में सूर्य का प्रभाव होता हैं ऐसे गणपति की पूजा अधिकतर मंदिरों में की जाती है. क्योंकि उनकी नियमित तरीके से पूजा-पाठ, आराधना, आरती विधि-विधान पूर्वक करनी अत्यन्त आवश्यक है और जरा सी गलती मुसीबत बन सकती है.
आपने देखा होगा कि सिद्धि विनायक मंदिर में दाईं ओर सूंड वाले गणपति विराजमान हैं, जोकि अपने आपमें अद्भुत व अनुपम हैं. क्योंकि उनकी पूजा-अर्चना पूर्ण विधि-विधान व शास्त्रोत है.
इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि, यदि आप वास्तु दोष निवारण के लिए वास्तु गणपति विराजमान करते हैं तो उनकी सूंड दाईं ओर ही होगी और यदि पूर्ण रूप से सिद्ध व अभिमंत्रित श्वेतार्क गणपति की आप पूजा करते है तो वह साक्षात गणेश स्वरूप ही हैं.
🌺मनोकामना पूर्ति के लिए गणेश महोत्सव पर कैसे गणपति घर लाएं?
यदि घर में लंबे समय से कोई संतान नहीं हुई है और संतान प्राप्ति की इच्छा से आप गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करना चाहते है तो गणेश उत्सव पर बाल गणेश की प्रतिमा घर लाएं.
घर में आंनद, उत्साह और प्रगति, उन्नति के लिए गणेश जी की नृत्य करते हुए मुद्रा वाली प्रतिमा घर लाएं.
जो लोग कला में विश्वास रखते है, उन्हें भी नृत्य करते हुए गणेश जी की प्रतिमा घर में स्थापित करनी चाहिए.
यदि घर में स्थाई सुख-शांति व आंनद के लिए आप गणेश जी की प्रतिमा घर लाना चाहते हैं, तो गणेश जी की ऐसी प्रतिमा घर लाए जिसमें गणेश जी लेटे हुए आराम करने की मुद्रा में हों. ऐसी प्रतिमा गृहस्थ व्यक्तियों के लिए भी अति शुभ मानी जाती है.
जब भी आप गणेश प्रतिमा लें इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि, उनका एक हाथ वरदान की मुद्रा में हो, एक हाथ में दंत, एक हाथ में लडडू होना चाहिए. साथ ही उनका वाहन मूषक राज भी अवश्य होना चाहिए.
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आप का आज का दिन मंगलमयी हो – आप स्वस्थ रहे, सुखी रहे – इस कामना के साथ।