hindu new year 2024 vikram samvat
देखो नूतन वर्ष हैं आया,
धरा पुलकित हुई गगन मुस्काया।
किंचित चिंताओं में डूबा कल
ढूँढ़ ही लेगा नया वर्ष कोई हल
देखो नए साल का पहला पल
क्षितिज के उस पार हैं उभर आया।
हिन्दू नव वर्ष क्यों मनाया जाता है
हिंदू पंचांग के के अनुसार वर्ष का पहला माह चैत्र माह होता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही सृष्टि बनाई गई. चैत्र माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन लगभग 1 अरब 14 करोड़ 58 लाख और 85 हजार 123 साल पहले सृष्टि बनी, इसलिए हिंदू नववर्ष इसी दिन मनाते हैं , आज ही के दिन भगवान राम जी का राज्याभिषेक हुआ था।
ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही सृष्टि बनाई गई. चैत्र माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन लगभग 1 अरब 14 करोड़ 58 लाख और 85 हजार 123 साल पहले सृष्टि बनी, इसलिए हिंदू नववर्ष इसी दिन मनाते हैं.दूसरी बात ये कि अपने नाम से विक्रमादित्य ने संवत्सर की शुरुआत भी चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि पर की थी. हिंदू नववर्ष को विक्रमी संवत्सर के रूप में भी जाना जाता है.यही समय शक्ति साधना का भी होता है इसलिए नव वर्ष के प्रारंभ होने के साथ ही नवरात्री मनाई जाती है।
विक्रम संवत 2081 का नाम क्या है?
विक्रम संवत 2081 का नाम क्रोधी है।
हिंदू कैलेंडर में कौन कौन से महीने होते हैं?hindu new year 2024 vikram samvat
हिंदू कैलेंडर के 12 माह-
चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ
आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद
आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष
पौष, माघ और फाल्गुन
विक्रम संवत की शुरुआत किसने की थी?
विक्रमी संवत की शुरुवात विक्रमादित्य ने की थी।
चैत्र नवरात्रि क्या है और क्यों मनाया जाता है?
चैत्र नवरात्री 9 दिन शक्ति आराधना के दिन हैं चूँकि नए वर्ष शुरू होने के साथ -साथ वातावरण में भी नयी स्फूर्ति और ताजगी देखने को मिलती है , जैसा की रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी कविता में कहा हैं
प्रकृति दुल्हन का रूप धार
जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
घर -घर खुशहाली लायेगी
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा
2024 में चैत के नवरात्रि कब से हैं?
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होती है। प्रतिपदा तिथि की शुरुआत ०८ अप्रैल से हो रही है जो ०९ अप्रैल को समाप्त होगी। इसीलिए यह शंका है कि घट स्थापना कब करें।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ- ०८ अप्रैल २०२४ को रात्रि ११:५० बजे से।
प्रतिपदा तिथि समाप्त- ०९ अप्रैल २०२४ को रात्रि ०८:३० बजे।
सही समय-
उदयातिथि के अनुसार ०९ अप्रैल २०२५ मंगलवार को चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होगी। १७ अप्रैल २०२४ बुधवार को को नवरात्रि का समापन होगा। नवरात्रि कुल ०९ दिनों तक की ही रहेगी। १६ अप्रैल मंगलवार को अष्टमी पर मां महागौरी की पूजा होगी। १७ अप्रैल बुधवार को नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होगी और इसी दिन पारण भी होगा। इसी दिन रामनवमी का पर्व भी रहेगा।
नवरात्रि घटस्थापना, कलश और मां दुर्गा पूजा के शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: ०४:३१ से प्रात: ०५:१७ तक।
अभिजित मुहूर्त- सुबह ११:५७ से दोपहर १२:४८ तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर ०२:३० से दोपहर ०३:२१ तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम ०६:४२ से शाम ०७:०५ तक।
अमृत काल- रात्रि १०:३८ से रात्रि १२:०४ तक।
निशिता मुहूर्त- रात्रि १२:०० से १२:४५ तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह ०७:३२ से शाम ०५:०६ तक।
अमृत सिद्धि योग- सुबह ०७:३२ से शाम ०५:०६ तक।
अप्रैल 2024 में नवरात्रि कब शुरू होगी?
प्रतिपदा-
०९ अप्रैल मंगलवार को प्रतिपदा के दिन घट स्थापना होगी और माँ शैलपुत्री पूजा की पूजा होगी।
द्वितीया-
१० अप्रैल बुधवार को द्वितीया के दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी।
तृतीया-
११ अप्रैल गुरुवार को तृतीया के दिन माँ चंद्रघंटा पूजा की पूजा होगी।
चतुर्थी-
१२ अप्रैल शुक्रवार को चतुर्थी के दिन माँ कुष्मांडा की पूजा होगी।
पंचमी-
१३ अप्रैल शनिवार को पंचमी के दिन माँ स्कंदमाता की पूजा होगी।
षष्ठी-
१४ अप्रैल रविवार को षष्ठी के दिन माँ कात्यायनी की पूजा होगी।
सप्तमी-
१५ अप्रैल सोमवार को सप्तमी के दिन माँ कालरात्रि की पूजा होगी।
अष्टमी-
१६ अप्रैल मंगलवार को अष्टमी के दिन माँ महागौरी की पूजा होगी।
नवमी-
१७ अप्रैल बुधवार को नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होगी और इसी दिन पारण भी होगा। इसी दिन रामनवमी का पर्व भी रहेगा।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व
- इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
- सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
- प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।
- शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।
- सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है।
- स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया।
- सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
- राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों और शकों को परास्त कर भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। शक संवत की स्थापना की।
- युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
- संघ संस्थापक प.पू.डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन।
- महर्षि गौतम जयंती।