राम मंदिर अयोध्या हिस्ट्री
‘नगरी हो अयोध्या सी रघुकुल सा घराना हों चरण हो राघव के जहाँ अपना ठिकाना हो ‘ आज के ब्लॉग में आपको भगवान राम जी की जन्मभूमि अयोध्या के बारे में अवगत कराऊंगा। भगवान राम जी का मंदिर जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को हुई थी कहा जाता है की इसी जगह पर भगवान राम जी की पावन जन्भूमि अयोध्या थी। वेदों और पुराणों तथा अभिलेखों इत्यादि के साक्ष्य के आधार पर सुप्रीम कोर्ट इसी जगह पर पुनः मंदिर बनाने की सहमति दी।
अयोध्या राम मंदिर का इतिहास क्या है?
- बाबर के सूबेदार मीर बाकी ने 1528 ईस्वी में बाबरी मस्जिद बनवाई। (Babur’s subedar Mir Baki built the Babri Masjid in 1528 AD)
- 1858 ईस्वी में परिसर में हवन, पूजन करने पर पहली बार एक एफआईआर हुई। (In 1858 AD, an FIR was registered for the first time for performing havan and puja in the complex)
- 22 दिसंबर 1949 ईस्वी को ढांचे के भीतर, गुंबद के नीचे मूर्तियों का प्रकटीकरण हुआ। (On December 22, 1949, idols were revealed inside the structure, under the dome.)
- 1885 ईस्वी में फैजाबाद के न्यायालय में स्वामित्व को लेकर दीवानी मुकदमा दायर हुआ। (In 1885 AD, a civil lawsuit was filed in the Faizabad court regarding ownership)
- 9 नवंबर 1989 ईस्वी को विवादित स्थल के करीब राम जन्मभूमि का शिलान्यास हुआ। (On November 9, 1989, the foundation stone of Ram Janmabhoomi was laid near the disputed site)
- 1 फरवरी 1986 ईस्वी को फैजाबाद जिला अदालत ने ताला खोलने का आदेश दे दिया। (On February 1, 1986, the Faizabad district court ordered the opening of the lock)
- 6 दिसंबर 1992 ईस्वी को अयोध्या पहुंचे हजारों कारसेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया। (On December 6, 1992, thousands of kar sevaks who reached Ayodhya brought down the disputed structure)
- 30 सितंबर 2010 ईस्वी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्थल को तीन पक्षों में बांटने का आदेश दिया। (On September 30, 2010, the Allahabad High Court ordered the division of the site among three parties)
- 9 नवंबर 2019 ईस्वी को सर्वोच्च न्यायालय ने संबंधित स्थल को श्री राम जन्मभूमि माना। (On November 9, 2019, the Supreme Court considered the relevant site as Shri Ram Janmabhoomi)
- 22 जनवरी 2024 ईस्वी को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा। (Pran Pratishtha of Ram Lalla on 22 January 2024 AD)
अयोध्या राम मंदिर कैसे पहुंचे ? How to reach Ram Temple in Ayodhya?
अयोध्या राम मंदिर आने के लिए आप बस,रेल अथवा हवाई जहाज के द्वारा अयोध्या आ सकते हैं
रेल मार्ग – रेल द्वारा अयोध्या आने के लिए आप “Ayodhya Dham Junction Railway Statio” अयोध्या धाम जंक्शन रेलवे स्टेशन पर आ जाएं जिसकी राम मंदिर से दूरी 2 किलोमीटर है।
अयोध्या धाम जंक्शन रेलवे स्टेशन है जिसका पहले नाम अयोध्या जंक्शन हुआ करता था। इस स्टेशन में गुंबद का आकर देकर इसे मंदिरनुमा आकृति दी गयी है।
यहाँ पर एक और जंक्शन है जिसका पूर्व का नाम फैजाबाद जंक्शन था और नया नाम अयोध्या कैंट रखा है।
बस मार्ग – आप अयोध्या बस स्टेशन पर पहुँच जाएं और वहां से ऑटो, बस इत्यादि से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
वायु मार्ग – अयोध्या एयरपोर्ट Ayodhya Airport (AYD) यह अयोध्या से 7 किलोमीटर की दुरी पैर है।
आप मंदिर तक ऑटो या बस के द्वारा पहुंच सकते हैं अथवा आप पैदल ही मंदिर तक जा सकते हैं क्यूंकि स्टेशन से मंदिर की दुरी लगभग 1.5 किलोमीटर है। स्टेशन के 500 मीटर बाद ही राम पथ शुरू हो जाता है। जो आपको सीधे मंदिर तक ले जाता है। मंदिर से पहले आपको विशाल गेट दिखेगा उसके अंदर से ही मंदिर का मार्ग है। आप मंदिर में कोई भी इलेक्ट्रॉनिक्स सामान नहीं ले जा सकते हैं इसे आपको गेट में ही जमा कराना होता है। यहाँ सामान रखाने के लिए निःशुल्क सेवा है , आप फ्री में अपना सामान जमा करा सकते हैं और दर्शन के पश्चात अपना सामान ले जा सकते हैं।
रामलला के दर्शन का समय क्या है?
मंदिर सुबह 7 बजे खुल जाता है और 11:30 A .M .बजे तक खुला रहता है। और उसके बाद 2 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है।
राम मंदिर में आरती कितने बजे होगी?
रामलला में आरती 2 समय होती है, पहली सुबह 6:30 बजे और दूसरी शाम 7:30बजे और दोनों आरती को आपको ऑनलाइन बुक करना पड़ता है।
अयोध्या आरती कैसे बुक करें ? How to book aarti in Ayodhya temple?
आरती बुक करने के लिए आपको https://srjbtkshetra.org/ ‘ राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ‘ वेबसाइट में जाना होता है और यहाँ से आप अपनी आरती का स्लॉट बुक कर सकते हैं।
वृद्धों के लिए सुविधाएं / What are the facilities for senior citizens in Ayodhya Ram Mandir?
मंदिर में वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग जनोंके जाने के लिए व्हील चेयर की सेवा उपलब्ध है।
राम मंदिर के आस पास होटल्स ?Best hotels in ayodhya near ram mandir?:
- The Ramayana Hotel, Ayodhya – इसे गूगल होटेल्स में 4.3 स्टार रेटिंग मिली है और इसका price ₹12,996 per night है।
- Hotel RamBhoomi Ayodhya – इसे गूगल होटेल्स में4.8 स्टार रेटिंग मिली है और इसका priced ₹3,920 per night.है।
- Royal Heritage Hotel & Resort, Ayodhya -इसे गूगल होटेल्स में 4.2 स्टार रेटिंग मिली है और इसका priced ₹9,515 per night.है।
श्री रामजन्मभूमि मंदिर अयोध्या / places to visit near ayodhya?
राम जन्मभूमि के अलावा अयोध्या में कई ऐसे मंदिर हैं जहाँ जाये बिना आपकी अयोध्या यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी , आपको में कुछ ऐसे जगह के बारे में बताऊंगा जहाँ आपको अवश्य ही जाना चाहिए :
1.हनुमान गढ़ी -माना जाता कि भगवान राम जब अपने साकेत धाम जा रहे थे , तब उन्होंने अपने और अपने भाईयों के पुत्रों को अलग अलग क्षेत्र का राज्य सौंपा किन्तु अयोध्या का राजा हनुमान जी को बनाया, यही कारण है की बिना हनुमान गढ़ी आए अयोध्या के दर्शन पुरे नहीं मने जाते।
2. कनक भवन – लाल साहब दरबार जी के द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया। कनक भवन में राम जी के तीन विग्रह हैं एक विग्रह खड़े बिहारी-बिहारिनि स्वरुप में हैं जिनकी स्थापना भगवान द्वारिकानाथ श्री कृष्ण और माता रुक्मणि जी ने की थी।
दूसरे स्वरुप जो अष्ठधातु से निर्मित छोटे स्वरुप हैं उनका निर्माण विक्रमादित्य जी ने किया है, जिनके नाम से विक्रमी संवत चलता है।
तीसरे स्वरुप जो खूब ह्रष्ट पृष्ठ हैं तिरछे नयन वाले स्वरुप विराजमान हैं, उनके मंदिर का कनक भवन का निर्माण टीकमगढ़ के महाराजा और महारानी ने किया।
3. नागेश्वरनाथ टेम्पल – नागेश्वरनाथ मंदिर का निर्माण भगवान राम के बेटे कुश द्वारा किया गया। महाशिवरात्रि के दिन यहाँ सबसे ज्यादा भीड़ होती हैं।
4 .रामकथा पार्क-राम कथा पार्क सरयू नदी के तट पर बसा शांत और सुविस्तृत क्षेत्र है। जहाँ पर समय समय पर विभिन्न प्रकार के आयोजन होते रहते हैं , इसकी रेलवे जंक्शन से दूरी ३ किलोमीटर है।
5.सरयू घाट -उत्तराखंड के सरमूल क्षेत्र से आती सरयू नदी यहाँ पर विशाल और आकर्षक हो जाती है , इसके घाटों पर बैठकर यहाँ की भगवान श्री राम जी की स्मृति जागृत हो जाती है।
FAQs
भारत का सबसे पुराना राम मंदिर कौन सा है?
भारत का सबसे पुराना राम मंदिर अयोध्या है , क्योकि यही पर भगवान राम का अवतार हुआ था। इसके बाद हनुमान गढ़ी मंदिर सबसे पुराना मंदिर है।
राम मंदिर का मालिक कौन है?
राम मंदिर का कोई एक मालिक नहीं है , राम मंदिर को एक संस्था चलाती है जिसका नाम “श्री राम जन्म-भूमि तीर्थ क्षेत्र” है।
अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन कब हुआ?
5 अगस्त 2020 को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा राम मंदिर भूमि पूजन किया गया।
विश्व का सबसे बड़ा राम मंदिर कौन सा है?
अयोध्या का असली नाम क्या है?
अयोध्या का असली नाम अयोध्या ही है। भगवान राम का धाम का नाम साकेत पूरी है।
श्री राम की मृत्यु के समय उनकी उम्र कितनी थी?
भगवान श्री राम की मृत्यु नहीं हुई भगवान ने जब इस प पृथ्वी में लगभग 12000 वर्ष तक शासन किया।
राम मंदिर की जगह पहले क्या था?
राम मंदिर की जगह पहले बाबरी मस्जिद बनाया गया था जिसे भी मंदिर तोड़ के ही बनाया गया था।
राम जी की कितनी पत्नियां थी?
मर्यादा पुरषोत्तम भगवान राम की एक पत्नी थी जिनका नाम माता सीता था।
भगवान श्री राम की आयु कितनी थी?
वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान राम जी आयु 12000 वर्ष थी।
बाबर ने राम मंदिर कब तोड़ा था?
बाबर ने 1528 ईस्वी में राम मंदिर को तोड़ा था।
श्री राम की मूर्ति काली क्यों होती है?
भगवान राम जी का रंग काला है इसलिए उनकी मूर्ति काली होती है।
राम मंदिर अयोध्या हिस्ट्री
हमने हर एक ब्लॉग के साथ रामचरितमानस की कुछ चौपाइयाँ दी हैं और मुख्य चौपाइयों को हाईलाइट किया है ,आप चाहें तो उन्हें भी पढ़ सकते हैँ
1.20
चौपाई
आखर मधुर मनोहर दोऊ। बरन बिलोचन जन जिय जोऊ।।
सुमिरत सुलभ सुखद सब काहू। लोक लाहु परलोक निबाहू।।
कहत सुनत सुमिरत सुठि नीके। राम लखन सम प्रिय तुलसी के।।
बरनत बरन प्रीति बिलगाती। ब्रह्म जीव सम सहज सँघाती।।
नर नारायन सरिस सुभ्राता। जग पालक बिसेषि जन त्राता।।
भगति सुतिय कल करन बिभूषन। जग हित हेतु बिमल बिधु पूषन ।
स्वाद तोष सम सुगति सुधा के। कमठ सेष सम धर बसुधा के।।
जन मन मंजु कंज मधुकर से। जीह जसोमति हरि हलधर से।।
दोहा/सोरठा
एकु छत्रु एकु मुकुटमनि सब बरननि पर जोउ।
तुलसी रघुबर नाम के बरन बिराजत दोउ।।20।।
1.21
चौपाई
समुझत सरिस नाम अरु नामी। प्रीति परसपर प्रभु अनुगामी।।
नाम रूप दुइ ईस उपाधी। अकथ अनादि सुसामुझि साधी।।
को बड़ छोट कहत अपराधू। सुनि गुन भेद समुझिहहिं साधू।।
देखिअहिं रूप नाम आधीना। रूप ग्यान नहिं नाम बिहीना।।
रूप बिसेष नाम बिनु जानें। करतल गत न परहिं पहिचानें।।
सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखें। आवत हृदयँ सनेह बिसेषें।।
नाम रूप गति अकथ कहानी। समुझत सुखद न परति बखानी।।
अगुन सगुन बिच नाम सुसाखी। उभय प्रबोधक चतुर दुभाषी।।
दोहा/सोरठा
राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरी द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर।।21।।
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